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कुछ घंटे में अमेरिका में होगा सबसे बड़ा फैसला, भारत और बाकी दुनिया पर क्या होगा प्रभाव?

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अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं, कुछ ही घंटों में अमेरिका के लोग अपने अगले राष्ट्रपति को चुन लेंगे. चुनावी मैदान में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मौजूदा उपराष्ट्रपति कमला हैरिस एक बार फिर अपनी किस्मत आजमा रही हैं. अगर कमला हैरिस ये चुनाव जीत जाती हैं, तो वह अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनेंगी और अगर डोनाल्ड ट्रंप चुनाव में बाजी मारते हैं, तो वह दूसरी बार राष्ट्रपति की सीट पर विराजमान हो जाएंगे.

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का यह दौर एक बार फिर से एक ऐतिहासिक घड़ी के रूप में सामने आया है, जहां रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला हैरिस आमने-सामने टक्कर पर हैं. पिछले चुनाव के मुकाबले में इस बार का परिदृश्य काफी अलग है. साल 2020 में जब बाइडेन और ट्रंप आमने-सामने थे, तो कोविड-19 महामारी सबसे बड़ा मुद्दा थी लेकिन इस बार चुनावी मुद्दे और रणनीतियां अलग हैं, जो भारत के लोकसभा चुनाव की गहमागहमी की झलक देते हैं.

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अमेरिकी जनता के चुनावी मुद्दे

अमेरिका, विविधताओं का देश है. बाहर से देखने पर यह देश व्हाइट हाउस, कैपिटल हिल और न्यूयॉर्क के मशहूर स्काईलाइन के रूप में दिखता है, लेकिन अमेरिका की अधिकतर जनता अपने रोजमर्रा के मुद्दों जैसे रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, और लोन माफी जैसे विषयों को अहमियत देती है. ज्यादातर वोटर रिपब्लिकन या डेमोक्रेटिक पार्टी के रजिस्टर्ड वोटर्स होते हैं, जो अमूमन अपनी पार्टी के लिए वफादार रहते हैं. ऐसे ही कुछ स्विंग स्टेट्स हैं, जहां के मतदाता चुनाव परिणाम तय करते हैं. यहां के संवेदनशील मुद्दे, जैसे गर्भपात और इमीग्रेशन, जनता पर असर डालते हैं.

उम्मीदवारों की रणनीति

दोनों ही उम्मीदवार एक-दूसरे पर निजी और राजनीतिक हमले कर रहे हैं. कमला हैरिस महिलाओं को गर्भपात के अधिकार के हनन का भय दिखाकर समर्थन जुटा रही हैं, जबकि ट्रम्प का दावा है कि कमला की जीत से अमेरिका पर प्रवासी हावी हो जाएंगे. ऐसे में मतदाताओं को लुभाने के लिए ये विवादास्पद मुद्दे प्रमुख चुनावी हथियार बन गए हैं.

दुनिया पर क्या होगा असर?

5 नवंबर को होने वाले चुनाव के बाद चाहे कमला हैरिस जीतें या ट्रंप, दुनिया पर अमेरिकी नीतियों का असर सीमित ही रहेगा. अमेरिका के हित सर्वोपरि हैं और किसी भी प्रशासन के लिए उसकी वैश्विक पकड़ मजबूत रखना प्राथमिकता होगी. ट्रंप के जीतने पर अमेरिका का दुश्मन चीन या ईरान बन सकता है, जबकि हैरिस के राष्ट्रपति बनने पर रूस को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. यह चुनाव वैश्विक शांति में बदलाव नहीं लाएगा, बस संघर्ष के मोर्चे बदल सकते हैं.

भारत के लिए चुनाव के मायने

अब अमेरिका चुनाव भारत के लिए क्या मयाने रखता है, तो अमेरिका का हर फैसला सीधे भारत को प्रभावित नहीं करता, लेकिन भारत-अमेरिका रिश्तों में स्थिरता और सामरिक साझेदारी को इन चुनावों के नतीजे से बल मिलेगा. चाहे कोई भी जीते, भारत के साथ व्यापारिक और सैन्य साझेदारी एक स्थिर विषय बना रहेगा, खासकर एशिया में चीन की बढ़ती ताकत को ध्यान में रखते हुए.

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