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छठ पूजा में सूप का क्यों किया जाता है इस्तेमाल, कैसे शुरू हुई इसकी परंपरा?

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हिन्दू धर्म में छठ पूजा के दौरान बांस के सूप का बहुत अधिक महत्व होता है. बांस एक प्राकृतिक वस्तु है और इसे प्रकृति का प्रतीक माना जाता है. छठ पूजा में प्रकृति की पूजा की जाती है, इसलिए बांस के सूप का इस्तेमाल छठ पूजा में किया जाता है. बांस को शुद्ध और पवित्र माना जाता है, इसलिए इसका उपयोग पूजा के लिए किया जाता है. छठ पूजा में सूप का इस्तेमाल करने के पीछे यह मान्यता भी है कि इसके उपयोग से सूर्य देवता प्रसन्न होते हैं और व्रती को मनचाहा फल प्राप्त होता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और यह छठ पूजा का एक हिस्सा बन चुकी है.

छठ पर्व की तिथि

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द्रिक पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 2024 में षष्ठी तिथि 7 नवंबर दिन गुरुवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 8 नवंबर दिन शुक्रवार को तड़के सुबह (पूर्वाहन) 12 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी.

ऐसे उदया तिथि के अनुसार, छठ पूजा का पर्व 7 नवंबर दिन गुरुवार को ही मनाया जाएगा. छठ पूजा संपन्न करने के लिए इस तरह से शाम के समय का अर्घ्य 7 नवंबर को और सुबह का अर्घ्य 8 नवंबर को दिया जाएगा. इसके बाद व्रत का पारण किया जाएगा.

छठ पूजा में बांस से बनी हुई कई सारी चीजों का उपयोग होता है. जैसे कि बांस की टोकरी, सूप, कोनी आदि. सूप का उपयोग सूर्य देव की पूजा में होता है और इसके बिना पूजा को अधूरा माना जाता है. सूर्यदेव की पूजा में जब अर्घ्य दिया जाता है तब बांस के सूप का ही उपयोग किया जाता है. साथ ही इसमें कई प्रकार के फल और ठेकुआ आदि भी रखा जाता है.

इन बातों का रखें विशेष ध्यान

  1. ऐसा माना जाता है कि जो भी पति-पत्नी पूरे श्रद्धा भाव से छठ माता का पूजन करते हैं उनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है और निःसंतान दम्पत्तियों को संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही परिवार में सभी सुखी जीवन व्यतीत करते हैं.
  2. छठ पूजा में मुख्य रूप से तीन दिनों के लिए मनाया जाता है जिसमें नहाय खाय, खरना और संध्या अर्घ्य प्रमुख हैं. इस पूजा को विधि-विधान के साथ किया जाता है. इस पूजा में बांस के सूप का उपयोग किया जाता है.
  3. ऐसी मान्यता है कि प्राचीन काल में लोग प्राकृतिक वस्तुओं का ही उपयोग करते थे, बांस आसानी से उपलब्ध होने के कारण इसका उपयोग पूजा के लिए किया जाने लगा था.
  4. कुछ मान्यताओं के अनुसार, आदिवासी संस्कृति में बांस का विशेष महत्व होता था और इसे पूजा में इस्तेमाल किया जाता था. सूर्य देवता को ऊर्जा और जीवन का दाता माना जाता है. बांस एक तेजी से बढ़ने वाला पौधा है, इसलिए इसे सूर्य देवता की ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है.
  5. छठ पूजा में विशेष रूप से डोम जाति के द्वारा बनाए गए बांस के सूप का उपयोग किया जाता है. इन सूपों को बनाने में विशेष प्रकार की बांस की लकड़ी का उपयोग किया जाता है.
  6. छठ पूजा में सूप का उपयोग केवल अर्घ्य देने के लिए ही नहीं, बल्कि प्रसाद रखने के लिए भी किया जाता है.

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव को अर्घ्य देने के समय सूप का इस्तेमाल किया जाता है. इस दौरान व्रती महिलाएं बांस से बने सूप, टोकरी या दउरा में फल आदि रखकर छठ घाट ले जाती हैं और सूर्यदेव (सूर्यदेव मंत्र) की आराधना करती हैं. बांस के बने सूप या टोकरी की मदद से ही छठी मैया को भेंट दी जाती है. मान्यताओं के अनुसार. बांस से पूजा करने से लोगों के घर में धन और संतान सुख दोनों की प्राप्ति होती है. इसके अलावा जीवन में आने वाली परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं.

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