उमरिया। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व के अंतर्गत लखनौटी और रोहनिया गांव में 22 भैंस कोदो की फसल खाने से बीमार हो गई हैं। शासकीय पशु चिकित्सक मौके पर पहुंच कर इलाज कर रहे हैं।
हाथी मृत्यु की घटनाओं के बाद बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व प्रबंधन भी अलर्ट मोड़ पर आ गया
अभी हाल ही में हुई हाथी मृत्यु की घटनाओं के बाद बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व प्रबंधन भी अलर्ट मोड़ पर आ गया है और अपने स्टाफ से मवेशियों की निगरानी कराई जा रही है और सैंपल लिए जा रहे हैं।
टीमें सभी संभावित पहलुओं से मामले की जांच कर रहीं
मध्य प्रदेश सरकार के फैसले के मुताबिक, सरकार की एसआइटी और एसटीएसएफ की टीमें सभी संभावित पहलुओं से मामले की जांच कर रही हैं।
सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू (चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन) भी मौके पर रहे
पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ और सीडब्ल्यूएलडब्ल्यू (चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन) भी मौके पर रहे और पोस्टमार्टम और जांच की निगरानी कर रहे हैं।
पहले भी हुईं घटनाएं
कोदो में होने वाले फंगल इनफेक्शन माइकोटाक्सीन की वजह से इसी साल शहडोल जिले के गोहपारू तहसील के ग्राम कुदरी-भर्री निवासी एक ही परिवार के पांच लोग बीमार हो गए थे, जिन्हें उपचार के लिए जिला अस्पताल में दाखिल किया गया था। डाक्टरों को इन सबकी जान बचाने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।
कोदो की गहाई के दौरान कोदो खाने से कई बैलों की मौत हो गई थी
वर्ष 1999-2000 में अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ जनपद के एक गांव में कोदो की गहाई के दौरान कोदो खाने से कई बैलों की मौत हो गई थी। उस समया के विशेषज्ञों ने मोर्चा संभाला था।
सबसे पहले वर्ष 1980 के दशक में मध्यप्रदेश में ही हुई थी पहचान
कृषि वैज्ञानिक केपी तिवारी ने बताया कि यहां एक और खास बात यह है कि कोदो बाजार के बीजों में पाए जाने वाले माइकोटाक्सीन, साइक्लोपियाजोनिक एसिड सीपीए की पहचान सबसे पहले वर्ष 1980 के दशक में मध्यप्रदेश में ही हुई थी।
माइकोटाक्सीन फैक्ट
- माइकोटाक्सिन, फंगस से बनने वाले विषैले यौगिक होते हैं।
- मानव और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
- माइकोटाक्सिन, खेत में और भंडारण के दौरान बन सकते हैं।
- दूषित भोजन या चारा खाने से बीमारी से मौत हो सकती हैं।
- माइकोटाक्सिन से जुड़े कुछ प्रमुख लक्षण अताए गए हैं।
- उल्टी-दस्त, श्वसन संबंधी समस्याएं, भूख में कमी, कंपन शामिल हैं।