OROP को 10 साल पूरे, पीएम मोदी ने कहा- लंबे समय से थी मांग, सशस्त्र बलों की भलाई के लिए उठाया था कदम
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को देश के सैनिकों के लिए लाई गई वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना के 10 साल पूरा होने पर चर्चा की. साथ ही उन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी. पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा किआज ही के दिन, वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) लागू किया गया था. यह हमारे सैनिकों और पूर्व सेवा कर्मियों के साहस और बलिदान के लिए एक श्रद्धांजलि थी, जिन्होंने हमारे राष्ट्र की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. पीएम मोदी ने कहा ओआरओपी को लागू करने का निर्णय इस लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करने और हमारे नायकों के प्रति हमारे देश की कृतज्ञता की पुष्टि करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में यह योजना बीजेपी सरकार के प्रमुख मुद्दों में से एक रही. इसका उद्देश्य समान रैंक और सेवा अवधि वाले सेवानिवृत्त सैनिकों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख की परवाह किए बिना समान पेंशन प्रदान करना था. इस योजना से लाखों परिवारों और पेंशनभोगियों को लाभ मिला है, जिससे सशस्त्र बलों के कर्मियों के कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता का संकेत मिलता है.
सैन्य कर्मियों को मिलेगा लाभ
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने वन रैंक वन पेंशन की गारंटी को पूरा किया है. उन्होंने कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कांग्रेस की सरकार होती, तो यह सपना ही रह जाता. वहीं, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस योजना की सराहना करते हुए कहा कि OROP प्रधानमंत्री की सशस्त्र बलों के प्रति नीति का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है. राजनाथ सिंह ने बताया कि इस योजना से 2.5 मिलियन से अधिक पूर्व सैनिकों को लाभ हुआ है, जो सरकार की सैनिकों और उनके परिवारों के प्रति प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है.
जानें क्या है इसकी खासियत ?
‘वन रैंक, वन पेंशन’ का मतलब है कि समान रैंक पर समान अवधि के लिए सेवा देने वाले सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों को उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख में बिना बदलाव के समान पेंशन देना. बता दें इस योजना के लागू होने से पहले पूर्व सैनिक वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर पेंशन प्राप्त करते थे. जो सशस्त्र बल कर्मी 30 जून, 2014 तक सेवानिवृत्त हुए हैं, वे सभी इस नीति के अंतर्गत आते हैं. इसका गठन भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता में गठित 10 सदस्यीय सर्वदलीय संसदीय पैनल, जिसे ‘कोश्यारी समिति’ की सिफारिश पर आधारित है. फिलहाल इस योजना के लाभार्थियों की संख्या उत्तर प्रदेश और पंजाब में सबसे ज्यादा है.