रतलाम। अपराधियों को पकड़ने, मर्डर की गुत्थी को सुलझाने और कानून का पालन करवाने के लिए जानी जाने वाली पुलिस का रतलाम में एक अलग ही रूप सामने आया। यहां एक थाने में स्टाफ ने महिला आरक्षक की गोद भराई का कार्यक्रम किया। पूरे स्टाफ ने महिला के परिवार की तरह इसकी तैयारी की। खुद पुलिस थाने के टीआई ने पिता की भूमिका निभाई और कार्यक्रम सभी जिम्मेदारी निभाई।
जानकारी के अनुसार कार्यक्रम के लिए दीनदयाल नगर थाना परिसर के हाल को गुब्बारों से इस तरह सजाया गया, जैसे घर पर मांगलिक कार्यक्रम हो। थाने के सभी पुलिस अधिकारी व कर्मचारियों ने पूरे कार्यक्रम को ऐसे किया जैसे सभी महिला आरक्षक के स्वजन हो।
पति कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए
महिला आरक्षक शानू धार जिले के गंधवानी की रहने वाली है, उनका ससुराल मनावर में है तथा वह रतलाम में नौकरी करती है। वर्ष 2012 में शानू के पिता का निधन हो चुका है। परिवार में मां दितली बाई, भाई जितेंद्र है।
सास-ससुर दूर रहते हैं तथा पति मोहन धारवे रतलाम में ही यातायात थाने पर पदस्थ है. जावरा में ड्यूटी होने के कारण पति कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाए।
केवल जेठ ही शामिल हुए कार्यक्रम में
परिवार की तरफ से केवल जेठ सुभाष धारवे कार्यक्रम में शामिल हुए। वहीं थाना प्रभारी रवींद्र दंडोतिया सहित थाने के पूरे स्टाफ ने कार्यक्रम को घर पर होने वाली कार्यक्रम की तरह धूमधाम से किया। शानू के पिता की भूमिका थाना प्रभारी ने निभाई।
कार्यक्रम में कई महिला पुलिसककर्मी भी परिवार के सदस्य के रूप में शामिल हुई तथा रस्में की। पुलिसकर्मियों ने डीजे की धुन पर डांस कर खुशी जाहिर की। शानू का कहना है कि परिवार के सदस्य दूर-दूर थे, पति भी ड्यूटी पर थे।
महिला आरक्षक के पिता नहीं हैं
थाना प्रभारी पिता की भूमिका निभाई तथा अन्य पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों ने भी परिवार के सदस्यों की तरह सहयोग किया। पूरे स्टाफ ने उनके बारे में सोचा, बहुत खुशी हुई। थाना प्रभारी रवींद्र दंडोतिया ने बताया कि महिला आरक्षक के पिता नहीं है। परिवार के अन्य सदस्य दूर-दूर थे।
वह छुट्टी पर जाने वाली हैं। वह यहां अकेली है, घर की कई जिम्मेदारियां भी रहती हैं। ऐसे में कैसे कार्यक्रम करेंगी। इस कारण विचार आया कि खुशी का पल है, सभी स्टाफ मिलकर कार्यक्रम करें। इससे उसे भी खुशी मिलेगी। सभी स्टाफ ने मिलकर कार्यक्रम कर लिया।