नतीजे से पहले जहां महाराष्ट्र में सियासी हलचल मची हुई है, वहीं झारखंड में सन्नाटे का माहौल है. इसकी बड़ी वजह वोटिंग पैटर्न बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि झारखंड में जिस तरीके से मतदान हुआ है, उससे नेताओं के लिए आकलन करना मुश्किल हो गया है, इसलिए दोनों गठबंधन के नेता अब सीधे स्ट्रॉन्ग रूम खुलने का इंतजार कर रहे हैं.
81 विधानसभा सीटों वाली झारखंड में सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत होती है. 2019 में यहां कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन ने मिलकर सरकार बनाई थी.
वोटिंग बढ़ी पर …
झारखंड में इस बार मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी देखी गई है. कुल मतदान में करीब 4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. आमतौर पर जब मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी होता है तो इसे सत्ता के खिलाफ माना जाता है, लेकिन इस बार झारखंड की 68 सीटें ऐसी है, जहां पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा वोट डाले हैं.
महिलाओं के मतदान प्रतिशत ने जानकारों को सकते में डाल दिया है. कहा जा रहा है कि इस बार महिलाएं नया वोटबैंक बनकर उभरी हैं. जेएमएम मईयां (मैया) सम्मान योजना के जरिए इन लोगों को चुनाव से पहले से ही साधने में जुटी थी.
जेएमएम का दावा है कि महिलाओं ने इस बार के चुनाव में बड़ी भूमिका निभाई है, इसलिए हेमंत सोरेन फिर से सरकार में आ रहे हैं. झारखंड में इस बार के चुनाव में महिलाओं के मुद्दे काफी चर्चा में रहे.
जेएमएम मैया सम्मान से जहां महिलाओं को साध रही थी. वहीं बीजेपी गोगो दीदी और एक रुपए में जमीन रजिस्ट्री जैसे वादे के जरिए उन्हें अपने पाले में लाने की कवायद में जुटी थी.
11 सीटों पर कम वोटिंग से भी टेंशन
एक तरफ जहां कुल मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. वहीं दूसरी तरफ झारखंड की 11 विधानसभा ऐसी है, जहां पर वोटिंग में कमी आई है. इनमें बरकट्ठा, पांकी और छतरपुर जैसी सीटें शामिल हैं.
इन सीटों पर मतदान प्रतिशत के कम होने से सवाल उठ रहा है कि आखिर जीत का गणित किस करवट बैठेगा? जिन सीटों पर कम मतदान हुए हैं, वहां की अधिकांश सीटों पर पिछली बार बीजेपी और उसके सहयोगियों को जीत मिली थी.
ऐसे में यहां का सिनेरियो क्या बनता है, इस पर भी सबकी नजर है.
JMM सर्वे में कांग्रेस कमजोर
एग्जिट पोल के इतर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी एक सर्वे जारी किया है. इस सर्वे में विधानसभा की 81 में से 59 सीटों पर जेएमएम ने जीत का दावा किया है. पार्टी के सर्वे में कांग्रेस को काफी कमजोर बताया गया है. सर्वे के मुताबिक कांग्रेस के बड़े नेताओं की सीट फंस गई है. यह सर्वे महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने जारी किया है.
सर्वे में कहा गया है कि कुल 14 ऐसी सीटें हैं, जहां कांग्रेस फंस गई है. कांग्रेस आधिकारिक समझौते के तहत 28 सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
इस सर्वे में रामेश्वर ओरांव की लोहरदगा, अजॉय कुमार की जमशेदपुर पूर्वी, दीपिका पांडे की महगामा, बादल पत्रलेख की जरमुंडी जैसी सीटों पर कांग्रेस को कमजोर बताया गया है. हालांकि, जेएमएम के महासचिव विनोद पांडेय का कहना है कि यह विचार सुप्रियो भट्टाचार्य की है. पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है.
कोयलांचल में जयराम फैक्टर
झारखंड के चुनाव में कुड़मी नेता जयराम ठाकुर भी ताल ठोक रहे थे. कहा जा रहा है कि जयराम के कई उम्मीदवार मजबूती से कोल्हान और कोयलांचल में त्रिकोणीय मुकाबला बनाने में कामयाब रहे हैं. जयराम खुद डुमरी और बेरमो से चुनाव लड़ रहे हैं.
बगोदर और बाघमारा जैसी सीटों पर भी जयराम के उम्मीदवार मजबूत माने जा रहे हैं. ऐसे में सबकी नजर उनके वोट शिफ्टिंग पर है. कहा जा रहा है कि जयराम ने अगर एनडीए को नुकसान पहुंचाया, तो बीजेपी सत्ता से दूर रह सकती है.
वहीं अगर जयराम की वजह से इंडिया के उम्मीदवार हारते हैं तो हेमंत की वापसी मुश्किल हो जाएगी. जयराम की वजह से एनडीए के सुदेश महतो भी टेंशन में हैं.