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कैब बुकिंग में iPhone यूजर्स के साथ झोल कर रही कंपनियां, इस रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

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मोबाइल ऐप से कैब या टैक्सी बुक करते समय क्या किराया अचानक बढ़ने लगता है. अगर, जवाब हां है तो यह जान लीजिए कि यह किराया इसलिए नहीं बढ़ रहा कि कैब की मांग ज्यादा है, बल्कि इसे तकनीक का उपयोग कर बढ़ाया जा रहा है. लोकल सर्कल द्वारा किए गए सर्वेक्षण के मुताबिक सर्वे शामिल 10 में से 8 ऐप में यूजर्स ने बुकिंग के दौरान डार्क पैटर्न के उपयोग की रिपोर्ट दी. जबकि दस में से चार ने ड्रिप मूल्य निर्धारण का अनुभव करने की पुष्टि की.

एंड्रॉइड और iPhone में अलग किराया

सर्वे के मुताबिक एक ही दिशा में जाने वाली समान कैब के लिए यात्रियों ने एंड्रॉइड डिवाइस और आईफ़ोन पर किराए में अजीब असमानताएं देखीं. उन्हें आश्चर्य तब हुआ जब यह सामने आया कि ऐप्पल यूजर्स से ज्यादा शुल्क लिया जा रहा है. सवाल ये है कि क्या राइड-हेलिंग ऐप्स में मूल्य निर्धारण एल्गोरिदम को ऐप्पल उपयोगकर्ताओं से ज्यादा शुल्क लेने के लिए प्रोग्राम किया गया है. यह डार्क पैटर्न सरकार द्वारा चिन्हित 13 में सूचीबद्ध नहीं है. सवाल यह भी उठता है कि राइड-हेलिंग ऐप्स उपयोगकर्ताओं के हार्डवेयर डेटा तक कैसे पहुंचते हैं, जबकि इसके लिए उन्हें ऐप इंस्टॉल करते समय सहमति की आवश्यकता होती है.

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सर्वे में यह भी पता लगा कि यूजर्स ने प्रलोभन, स्विच, ड्रिप मूल्य निर्धारण, जुर्माना लगाने या मजबूरन राइड रद्द करने की गतिविधियों का अनुभव भी किया. देश के 269 जिलों में ऐप के जरिए कैब बुक कराने वाले 33,000 लोगों की प्रतिक्रियाएं ली गईं. सर्वे में 61 प्रतिशत उत्तरदाता पुरुष थे, जबकि 39 प्रतिशत महिलाएं थीं.

100 से 200 रुपए बढ़ जाता है किराया

सर्वे के मुताबिक सही लोकेशन के चक्कर में कई बार देखते ही देखते किराया 100 से 200 रुपये बढ़ जाता है. कई मौकों पर इंतजार के दिखाए गए समय की तुलना में देरी इतनी ज्यादा होती है कि मजबूरी में राइड रद्द करनी पड़ती है और दूसरी बार बुकिंग में किराया बढ़ जाता है. सर्वेक्षण में शामिल ऐप-आधारित टैक्सी उपयोगकर्ताओं में से 42 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें छिपे हुए शुल्क (करों के अलावा) का सामना करना पड़ा, जिनका पहले खुलासा नहीं किया गया था.

ऐप-आधारित टैक्सी उपयोगकर्ताओं में से 84 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें जबरन कार्रवाई का अनुभव हुआ है, जहां उन्हें सवारी रद्द करनी पड़ी. सर्वेक्षण में शामिल ऐप-आधारित टैक्सी उपयोगकर्ताओं में से 78 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें प्लेटफ़ॉर्म द्वारा प्रलोभन और स्विच का अनुभव हुआ है. उदाहरण के लिए सवारी बुक करने से पहले उपयोगकर्ताओं को दिखाया गया प्रतीक्षा समय ड्राइवर द्वारा उन तक पहुंचने में लगने वाले वास्तविक समय से काफी कम है.

उबर-ओला यूज करते हैं डार्क पैटर्न

सर्वे के मुताबिक उबर चार डार्क पैटर्न का उपयोग करता है जो मजबूर कार्रवाई, इंटरफ़ेस हस्तक्षेप, प्रलोभन-स्विच और ड्रिप मूल्य निर्धारण है. जबकि ओला तीन डार्क पैटर्न का उपयोग करता है, जो जबरन कार्रवाई, प्रलोभन-स्विच और ड्रिप मूल्य निर्धारण हैं. ब्लूस्मार्ट, इनड्राइव और रैपिडो सभी ‘ड्रिप प्राइसिंग’ का उपयोग करते हैं.

सर्वेक्षण में शामिल दस में से आठ ऐप टैक्सी यूजर्स ने प्रलोभन-स्विच और जबरन कार्रवाई जैसे डार्क पैटर्न की सूचना दी, जबकि दस में से चार ने ड्रिप मूल्य निर्धारण का अनुभव करने की पुष्टि की.

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