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समंदर के नए सिकंदर… PM मोदी ने देश को समर्पित किए तीन ‘महाबली योद्धा’, बढ़ेगी चीन-पाक की टेंशन

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भारतीय नौसेना की ताकत को पंख लगाने वाले तीन महाबली रेडी हैं, जो भारत की समुद्री सीमा को अभेद्य बनाएंगे. नए साल की शुरुआत भारतीय नौसेना के लिए एक ऐतिहासिक पल लेकर आई है. पीएम मोदी ने आज अपने महाराष्ट्र के दौरे के दौरान ही मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में इन तीनों महाबलियों को भारत की नौसेना को सौप दिया. ये तीन महाबली कोई और नहीं बल्कि आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर पनडुब्बी हैं.

इस मौके पर पीएम मोदी ने इस दौरान कहा कि आज भारत पूरे विश्व और खासकर ग्लोबल साउथ में एक भरोसेमंद और जिम्मेदार साथी के रूप में पहचाना जा रहा है. भारत विस्तारवाद नहीं, भारत विकासवाद की भावना से काम करता है. यह गर्व की बात है कि तीनों अग्रणी नौसैनिक लड़ाकू जहाज भारत में निर्मित हैं. आज का भारत दुनिया में एक प्रमुख समुद्री शक्ति के रूप में उभर रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि ये पहली बार हो रहा है, जब एक डिस्ट्रॉयर, एक फ्रिगेट और एक सबमरीन को एक साथ कमीशन किया जा रहा है. गर्व की बात कि ये तीनों मेड इन इंडिया हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि ये फ्रंटलाइन प्लेटफॉर्म मेड-इन-इंडिया उत्पाद हैं इसलिए, मैं भारतीय नौसेना, इंजीनियरों, श्रमिकों और पूरे देश को बधाई देना चाहता हूं.

ये तीन समंदर के सिकंदर सेना के बेड़े में शामिल हो गए हैं. इससे चीन से लेकर पाकिस्तान तक की टेंशन बढ़ जाएगी. जिनपिंग हो या शहबाज शरीफ हर कोई भारत की बढ़ती ताकत को लेकर दहशत में हैं. ऐसे में इस खबर में जानेंगे कि आखिर इनके शामिल होते ही भारत की ताकत कितनी बढ़ जाएगी, साथ ही ये भी समझेंगे की अब भारत अपने इन महाबलियों से कैसे बीजिंग से लेकर इस्लामाबाद तक सभी दुश्मनों को घेरने का काम करेगा.

पीएम मोदी ने कहा कि आज भारत की समुद्री विरासत, नौसेना के गौरवशाली इतिहास और आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए बहुत बड़ा दिन है. छत्रपति शिवाजी महाराज ने भारतीय नौसेना को नई ताकत और नया विजन दिया था. आज उनकी पावन धरती पर हम 21वीं सदी की नौसेना को मजबूत करने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम उठा रहे हैं.

चीन-पाकिस्तान के लिए काल है आएनएस सूरत

पहले जान लेते हैं कि आखिर ये तीनों महाबली कितने ताकतवर हैं. अगर आईएनएस सूरत की बात करें तो ये भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी के तहत बनाया गया चौथा और आखिरी स्टेल्थ गाइडेड-मिसाइल डिस्ट्रॉयर है. ये कई तकनीकों से लैस होने के कारण अपने दुश्मन पर सटीक प्रहार करने की क्षमता रखता है. ये एक तरह के स्टेल्थ फीचर्स और उन्नत रडार सिस्टम से लैस हैं. पाकिस्तान तो दूर चीन भी अपनी रडार पर इसे आसानी से ट्रैक नहीं कर पाएगा. ये सतह-से-सतह और सतह-से-हवा की मिसाइलों से दुश्मन देश की मिसाइलें भी ध्वस्त करने की क्षमता रखता है.

टॉरपीडो और बाकी के हथियारों से लैसे ये युद्धपोत चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए काल है. माना जा रहा है कि इसे देश के पूर्वी तट पर यानि विशाखापट्टनम में तैनात किया जा सकता है. वहीं, दुश्मन देशों की राडार से बचने के लिए इसे ब्रिज लेआउट और मास्ट डिजाइन में बदला गया है. इसमें रैल लैस वाले हेलिकॉप्टर ट्रेवर्सिंग जैसे आधुनिक सिस्टम भी लगाया गया है, जिससे खराब मौसम में भी हेलिकॉप्टरों को किसी भी तरह का नुकसान न हो और कोई भी दुश्मन देश भारत की ओर आंख न उठा सकें.

दुश्मनों को मात देने के लिए तैयार है आएनएस नीलगिरि

INS नीलगिरि आज भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा. यह प्रोजेक्ट 17ए के तहत बनाया गया स्टेल्थ फ्रिगेट है, जिसे अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है. साल 1996 में रिटायर किए गए पुराने INS नीलगिरि का ये नया वर्जन अब समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और दुश्मनों को करारा जवाब देने के लिए तैयार किया गया है. यह युद्धपोत न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि समुद्री क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के लिए बड़ी चुनौती भी साबित होगा.

ये स्टेल्थ फ्रिगेट दुश्मनों की रडार पकड़ से बचने में सक्षम है. इसकी डिजाइन भी खास है और डिजाइन से ही रडार सिग्नेचर कम हो जाती है, जिससे इसे ट्रैक करना मुश्किल हो जाता है. समंदर में चीन की बढ़ती गतिविधियों के बीच यह युद्धपोत हिंद महासागर में भारत की उपस्थिति को और मजबूत करेगा. INS नीलगिरी जैसी तकनीक चीन की सेना के लिए चुनौतीपूर्ण है. पाकिस्तान के मुकाबले भारतीय नौसेना कहीं अधिक सक्षम है और नई पनडुब्बियों और युद्धपोतों के साथ भारत समुद्री सुरक्षा में वैश्विक स्तर पर मजबूती से खड़ा है. INS नीलगिरी जैसे प्लेटफॉर्म दुश्मनों के हर मंसूबे को नाकाम करने में सक्षम हैं.

समंदर के अंदर भी कापेंगी दुश्मनों की रूह

चीन की नेवी के पास करीब 370 से ज्यादा वारशिप और सबमरीन हैं. इसलिए भारत तेज रफ्तार से समंदर के अंदर से चीन को काउंटर करने के लिए तैयार है. इसके लिए भारत ने स्वदेशी एलक्ट्रिक और डीजल से चलने वाली विध्वंसक पनडुब्बी आईएनएस वाघशीर को उतारेगा. ये पहली बार है कि एक या दो नहीं बल्कि तीन युद्धपोतों को एक साथ बेड़े में शामिल किया जाएगा. यह पनडुब्बी भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए तैयार की गई है और इसे जल्द ही हिंद महासागर में तैनात किया जाएगा.

यह पनडुब्बी 67 मीटर लंबी और 1,550 टन वजनी पनडुब्बी बेहद शांत संचालन में सक्षम है, जिससे दुश्मन इसे आसानी से ट्रैक नहीं कर सकते. इसमें वायर-गाइडेड टॉरपीडो, एंटी-शिप मिसाइल और हाई-टेक सोनार सिस्टम लगाए गए हैं. इसका डिजाइन दुश्मन के इलाकों में गुप्त रूप से घुसपैठ करने और लक्ष्यों को नेस्तानाबूत करने के लिए काफी है. इतना ही नहीं भविष्य में इसमें एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) तकनीक जोड़ने की क्षमता है, जो इसे लंबे समय तक पानी के नीचे काम करने में सक्षम बनाएगी. माना जा रहा है कि ये 45 से 50 दिन तक आराम से पानी के भीतर रहकर दुश्मनों के नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने देगी.

क्यों चीन-पाकिस्तान के छूटेंगे पसीने?

भारतीय नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है, जो चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मन देशों के लिए चिंता का कारण बन रही है. आधुनिक युद्धपोत, पनडुब्बियां और हथियार प्रणाली विकसित कर भारत ने समुद्री क्षेत्र में अपनी रणनीतिक स्थिति को मजबूत किया है. वहीं आज आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरि और आईएनएस वाघशीर जैसे अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म्स के शामिल होने से भारत की समुद्री ताकत में कहीं हद तक और बढ़ जाएगी. चीन जहां हिंद महासागर में अपनी नौसैनिक गतिविधियों को बढ़ा रहा है, वहीं भारत की तेजी से बढ़ती शक्ति उसे पीछे धकेलने में सक्षम है. इसके अलावा, पाकिस्तान की नौसेना क्षमता भारत के इन महाबलियों के आगे बिल्कुल भी नहीं टिक पाएगी.

भारतीय नौसेना की नई तकनीक और गुप्त संचालन क्षमताएं, जैसे स्कॉर्पीन-क्लास पनडुब्बियां और स्टेल्थ युद्धपोत कहीं न कहीं भारत के पक्ष को और मजबूत बना रही हैं. चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और पाकिस्तान की ग्वादर बंदरगाह परियोजना को ध्यान में रखते हुए, भारत की नौसेना इन दोनों देशों के लिए एक चुनौती बनकर उभरी है. भारत की बढ़ती समुद्री ताकत न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करेगी बल्कि क्षेत्रीय शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाएगी.

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