प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार 15 जनवरी को मुंबई के खारघर में ISKCON मंदिर का उद्घाटन किया. इस दौरान पीएम ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मुझे मंदिर के उद्घाटन का सौभाग्य मिला है. राधा मोहन जी मंदिर के स्वरूप में संपूर्ण परंपरा के दर्शन हुए. उन्होंने गोपालकृष्ण गोस्वामी महाराज को याद किया. पीएम ने कहा कि इस प्रोजेक्ट में उनका विजन जुड़ा हुआ है. भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनकी भक्ति का आशीर्वाद जुड़ा हुआ है. आज वो शरीर से भले ही यहां न हो, लेकिन उनकी आध्यात्मिक उपस्थिति हम सब महसूस कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि ये मंदिर परिसर आस्था के साथ-साथ भारत की चेतना को भी समृद्ध करने का एक पुण्य केंद्र बनेगा. मैं इस पुनीत कार्य के लिए इस्कॉन के सभी संतों और सदस्यों को और महाराष्ट्र के लोगों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं. मोदी ने कहा कि आज श्री श्री राधा मदनमोहनजी मंदिर का उद्घाटन हो रहा है. ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे ऐसे अलौकिक अनुष्ठान में अपनी भूमिका निभाने का पुण्य प्राप्त हुआ है. ये इस्कॉन के संतों का अपार स्नेह और अपनापन है, मैं सभी पूज्य संतों का आभार करता हूं. पीएम ने कहा कि मैं अभी देख रहा था, श्री राधा मदन मोहनजी मंदिर परिसर की जो रूपरेखा है, इस मंदिर के पीछे जो विचार है, इसका जो स्वरूप हा उसमें ईश्वर के विविध स्वरूपों के दर्शन होते हैं.
‘भारत को समझना है तो भारत के अध्यात्म को समझना होगा’
पीएम ने कहा कि नई पीढ़ी की रुचि और आकर्षण के अनुरूप यहां महाभारत, रामायण, उसको समेटे हुए, उसपर आधारित म्यूजिम भी बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह मंदिर परिसर आस्था के साथ-साथ भारत की चेतना को भी समृद्ध करने का एक पुण्य केंद्र बनेगा. अगर भारत को समझना है तो भारत के अध्यात्म को समझना होगा. उन्होंने कहा कि दुनिया भर में फैले इस्कॉन के अनुयायी भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति की डोर से बंधे हैं. उन सबको एक-दूसरे से कनेक्ट रखने वाला एक और सूत्र है जो 24 घंटे हर भक्त को दिशा दिखाता रहता है, ये श्री स्वामी प्रभुपाद के विचारों का सूत्र है.
‘भारत असाधारण और अद्भुत भूमि है’
इसके आगे पीएम मोदी ने कहा कि भारत असाधारण और अद्भुत भूमि है. यह केवल भौगोलिक सीमाओं में बंधा भूमि का टुकड़ा मात्र नहीं है बल्कि धरती है, जीवंत संस्कृति, जीवंत परंपरा है. उन्होंने कहा कि इस संस्कृति की चेतना यहां का आध्यात्म है. भारत को समझने के लिए पहले अध्यात्म को आत्मसात करना होता है. जो दुनिया को भौतिक दृष्टि से देखते हैं, उन्हें भारत भी अलग अलग भाषा और प्रांतों का समूह नजर आता है. जब सांस्कृतिक चेतना से अपने को जोड़ते हैं तो आपको भारत के विराट रूप के दर्शन होते हैं.