मास्को। दुनिया अभी तक दो विश्व युद्ध देख चुकी हैं, जिसमें सालों तक जंग लड़ी गई, लेकिन खून के सिवा और कुछ नहीं मिला। जो हारा वहां खत्म हो गया, लेकिन जो जीता वहां भी काफी हद तक तबाह हो गया। विश्व की सबसे बड़ी ताकत ब्रिटेन इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। एक समय था, ब्रिटेन का आधी दुनिया पर कब्जा था, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध के बाद उसके कमर टूट गई। दूसरे विश्व युद्ध के बाद विश्व की सबसे बड़ी ताकत के रूप में अमेरिका और रूस उभरा था। अमेरिका-रूस में लंबे समय तक शीत युद्ध चला लेकिन सभी को पता था कि यदि युद्ध हुआ, तब दोनों तबहा हो जाएंगे। दुनिया तीसरे विश्व युद्ध को झलने की स्थिति में नहीं हैं। हालात बहुत नाजुक है, अभी दुनिया कोरोना महामारी से ही लड़ रही थी कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करके एक और बड़ी समस्या को विश्व के सामने खड़ा कर दिया है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा के कुछ ही देर बाद, देश भर के रूसी नागरिक उनके कार्यों की निंदा करने के लिए सड़कों पर उतर आए। लोगों ने सड़को पर पुतिन के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने युद्ध खत्म करने की मांग की। प्रदर्शनकारी स्थानीय समयानुसार शाम करीब 7 बजे ऐतिहासिक गोस्टिनी ड्वोर शॉपिंग आर्केड के बाहर सेंट पीटर्सबर्ग सहित कई अन्य शहरों में भी सड़कों पर उतरे। भारी पुलिस बल की पृष्ठभूमि में कुछ लोगों ने राष्ट्रपति की कठोर निंदा की।
संयुक्त राष्ट्र के यूरोपीय मुख्यालय के बाहर नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अंतर्राष्ट्रीय अभियान टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स द्वारा आयोजित जिनेवा में एक छोटा सा प्रदर्शन, समूह ने जो कहा वह परमाणु हथियारों का उपयोग करने के लिए पुतिन की धमकी की निंदा करता है।
अन्य प्रदर्शन बेरूत, तेल अवीव, डबलिन और प्राग में आयोजित किए गए। ओवीडी-इन्फो राइट्स मॉनिटर ने कहा कि पुलिस ने रूस के 53 शहरों में 1,667 से कम लोगों को हिरासत में लिया था।सिर्फ मास्को में छह सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया।
यूक्रेन के हजारों लोग देश पर रूसी आक्रमण के बाद पलायन कर, सुरक्षित स्थान की तलाश में पश्चिमी सीमा से लगे देशों में प्रवेश कर रहे हैं। उल्लखनीय है कि यूक्रेन की राजधानी कीव और अन्य शहरों पर रूस ने दूसरे दिन भी हवाई हमले किए। कुछ बॉर्डर क्रॉसिंग पर कई किलोमीटर तक कारों की कतार लगी हुई है। पोलैंड, स्लोवाकिया, हंगरी, रोमानिया और मोलदोवा में अधिकारी उनकी अगवानी करने के लिए तैयार हैं। वे यूक्रेन के लोगों को आश्रय, भोजन और कानूनी मदद उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने सीमा पर होने वाली सामान्य प्रक्रिया में भी ढील दे दी है। कोविड जांच कराने से भी छूट दी गई है। मेदयका, पोलैंड में बड़े बॉर्डर क्रॉसिंग पर यूक्रेन वासी पैदल और कार तथा ट्रेन से पहुंचे। पोलिश अधिकारियों और स्वयंसेवियों ने भोजन और गर्म पेय पदार्थ के साथ उनका स्वागत किया। स्लोवाकिया की पुलिस ने कहा कि उसकी सीमा पर पहुंच रहे ज्यादातर लोग बच्चों के साथ महिलाएं हैं, क्योंकि यूक्रेन ने 18 से 60 साल की आयु के पुरुषों के देश छोड़ने पर रोक लगा दी है। इतालवी प्रधानमंत्री मारियो द्राघी ने कहा, ‘‘यह कल्पना की जा सकती है कि भारी संख्या में शरणार्थी पड़ोसी यूरोपीय देशों की ओर आएंगे। संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर (संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त) ने यह अनुमान किया है कि एक लाख से अधिक लोगों ने यूक्रेन में अपना घरबार छोड़ दिया है और स्थिति विकराल होने पर 40 लाख लोग अन्य देशों में पलायन कर सकते हैं।
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