Breaking
मौसम में हुआ बदलाव, छाए रहेंगे बादल, बारिशके आसार कबाड़ गोदाम में भीषण विस्फोट के बाद जागा जिला प्रशासन, छापेमारी जारी पटवारी ने की पत्नी की गला घोंटकर हत्या, बरगी बांध में फेंका भाजपा के निष्कासित नेताओं से क्षेत्रीय संगठन महामंत्री, पार्टी में जल्‍द वापसी संभव बसपा प्रमुख मायवती की मध्य प्रदेश में दूसरी जनसभा रविवार को मुरैना में दिग्विजय, शिवराज और ज्योतिरादित्य का राजनीतिक भविष्य होगा तय खंडवा बड़ोदरा हाइवे में बिजली पोल से टकराई कार, आग लगने से ड्राइवर जिंदा जला दिल्ली: गर्मी में हीट स्ट्रोक स्ट्रोक का खतरा! चुनावी रैली में तैनात होंगी ये खास एबुंलेंस, जानें खा... फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय का मामला ठंडे बस्ते में, विभाग जांच कराना भी भूला बुरहानपुर में उल्टी-दस्त से पीड़ित 12 नए मरीज अस्पताल में हुए भर्ती, 22 को मिली छुट्टी

आखिर भगवान शंकर को रात्रि ही क्यों प्रिय है? महाशिवरात्रि उपवास का महत्व

Whats App

भगवान भोलेनाथ इस संसार के पालनहार है. वे अपने भक्तों की सेवा से जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। इनकी कृपा की प्राप्ति करना आसान है. वैसे तो सभी देवताओं का पूजन, व्रत आदि अकसर दिन में ही होते है.

मगर सवाल यह उठता है कि भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए रात्रि का सहरा क्यों लेना पड़ता है. आखिर भगवान शंकर को रात्रि ही क्यों प्रिय है? भगवान शिव संहार शक्ति तमोगुण के अधिष्ठाता हैं, इसलिए तमोमयी रात्रि से उनका लगाव होना स्वाभाविक माना गया है. रात्रि संहार काल की प्रतिनिधित्व करती है, उसके आने से प्रकाश का संहार हो जाता है. कोई जीव जो दिनभर अपना कर्म करते हैं, वह रात्रि में समापन की आरे बढ़ जाती है अंत में निद्रा द्वारा चेतनता ही संहार होकर समयकाल के लिए अचेतन हो जाते हैं.

शिव संहार के देवता है. ऐसे में उनके लिए रात्रि प्रिय है. यही वजह है कि भगवान शंकर की आराधना न केवल इस रात्रि में ही वरन सदैव रात्रि के प्रारंभ होने के पहले यानी प्रदोष काल में होती है. शिवरात्रि का कृष्ण पक्ष में होना भी एक कारण है. शुक्लपक्ष में चंद्रमा पूर्ण बलवान होता है कृष्ण पक्ष में क्षीर्ण कमजोर हो जाता है. चंद्रमा जीवन में रस देने वाला माना गया है. इसलिए ज्योतिष में इसे मन से जोड़ा गया है. इसकी बढ़ोतरी से संसार के संपूर्ण रस से भरे पदार्थों में वृद्धि होती है जब कृष्ण पक्ष में चंद्रमा कमजोर होने लगता है तो जीवन के सांसारिक रसों में कमी आने लगती है पूर्ण क्षीर्णता अमावस्या होती है.

Whats App

महाशिवरात्रि का उपवास व जागरण क्यों ?

ऋषि महर्षियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को अहम बताया है. गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है. आध्यात्मिक साधना के लिए उपवास करना जरूरी है. उपवास के साथ रात्रि जागरण का भी महत्व है. उपवास से इन्द्रियों मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी शख्स ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अग्रसर हो सकता है. इन सब कारणों से महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते हैं.

मौसम में हुआ बदलाव, छाए रहेंगे बादल, बारिशके आसार     |     कबाड़ गोदाम में भीषण विस्फोट के बाद जागा जिला प्रशासन, छापेमारी जारी     |     पटवारी ने की पत्नी की गला घोंटकर हत्या, बरगी बांध में फेंका     |     भाजपा के निष्कासित नेताओं से क्षेत्रीय संगठन महामंत्री, पार्टी में जल्‍द वापसी संभव     |     बसपा प्रमुख मायवती की मध्य प्रदेश में दूसरी जनसभा रविवार को मुरैना में     |     दिग्विजय, शिवराज और ज्योतिरादित्य का राजनीतिक भविष्य होगा तय     |     खंडवा बड़ोदरा हाइवे में बिजली पोल से टकराई कार, आग लगने से ड्राइवर जिंदा जला     |     दिल्ली: गर्मी में हीट स्ट्रोक स्ट्रोक का खतरा! चुनावी रैली में तैनात होंगी ये खास एबुंलेंस, जानें खासियत     |     फर्जी रजिस्ट्रार कार्यालय का मामला ठंडे बस्ते में, विभाग जांच कराना भी भूला     |     बुरहानपुर में उल्टी-दस्त से पीड़ित 12 नए मरीज अस्पताल में हुए भर्ती, 22 को मिली छुट्टी     |    

पत्रकार बंधु भारत के किसी भी क्षेत्र से जुड़ने के लिए इस नम्बर पर सम्पर्क करें- 9431277374