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सुनील जाखड़ के सियासी करियर में बड़ा मोड़ आया

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नई दिल्‍ली। कांग्रेस को अलविदा कह चुके पंजाब इकाई के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की मौजूदगी में वह ऐसे दल में शामिल हो गए, जिसकी आलोचना में उन्होंने अपना लंबा समय गुजारा है। बहरहाल, यह कहा जा रहा है कि जाखड़ का भाजपा में आना पार्टी और नेता दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
तीन बार के विधायक और एक बार के सांसद जाखड़ में भाजपा को एक हिंदू चेहरा मिला है। जबकि, पूर्व कांग्रेस नेता को भाजपा ने ऐसा मंच दिया है, जो उनके अनुभव को जगह दे सकता है। इसके अलावा जाखड़ की साफ छवि भी भाजपा को फायदा पहुंचा सकती है।
कांग्रेस सरकार में उथल-पुथल के दौर में जब कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम पद से हटाया गया था, तब जाखड़ इस पद की दौड़ में सबसे आगे नजर आ रहे थे। हालांकि, कांग्रेस नेता अंबिका सोनी के सीएम के तौर पर सिख चेहरे के चुनाव ने हालात बदल दिए। तब जाखड़ ने कहा था, ‘यह हिंदू बनाम सिख का मुद्दा बनाना पंजाब का अपमान है, जो चरित्र से सेक्युलर है। हमने राज्य में काफी चीजों का सामना किया है। काफी प्रयासों के बाद यह सामान्य हुआ है।’
रिपोर्ट के अनुसार, जाखड़ के करीबी बताते हैं कि कांग्रेस से अलग होने के बाद उनके दो विकल्प आम आदमी पार्टी या भाजपा थे। उनका कहना है कि 92 सीटें जीतने वाली आप में उन्हें बहुत कम जगह मिलती। वहीं, भाजपा में उन्हें अधिक लचीलापन मिलेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सिख समूहों की मुलाकात की ओर इशारा करते हुए सूत्र कहते हैं कि पंजाब चुनाव में शर्मनाक प्रदर्शन के बावजूद भाजपा सीमावर्ती राज्य में अपनी पहुंच बढ़ाने की कोशिश कर रही है।
पार्टी कांग्रेस और अकाली दल से भी नेताओं को लाने की कोशिश कर रही है। अकाली नेता मनजिंदर सिंह सिरसा और कांग्रेस के फतेह जंग बाजवा और राणा गुरमीत सिंह सोढ़ी वे नाम हैं, जो भाजपा में शामिल हो गए हैं। गुरुवार को पूर्व सीएम कैप्टन ने भी जाखड़ को भाजपा में शामिल होने पर बधाई दी है। 14 मई को कांग्रेस छोड़ते वक्त जाखड़ ने इशारा किया था कि कैप्टन पंजाब के सीएम के तौर पर सही थे, लेकिन रावत को उन्हें ‘अस्थिर’ करने के लिए भेजा था।

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