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जी-20 में यूक्रेन संकट, खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, गरीबी और कोरोना के प्रतिकूल प्रभावों पर दिखे गहरे मतभेद

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नुसा दुआ । इंडोनेशिया के बाली प्रायद्वीप में दुनिया के अमीर एवं विकसित देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा जारी है। इस दौरान यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और खाद्य एवं ऊर्जा सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, अंतहीन गरीबी और कोरोना वायरस महामारी के प्रतिकूल प्रभावों को लेकर तीखे मतभेद दिखाई दे रहे हैं। शुक्रवार को शुरू हुई जी-20 समूह की बैठक में महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति बनने की संभावना काफी कम नजर आ रही है।  इसी साल नवंबर में जी-20 समूह का शिखर सम्मेलन होना है। हालांकि, इससे पहले गुरुवार को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के इस्तीफे की घोषणा से वार्ता को तगड़ा झटका लगा है।
ब्रिटेन ने यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपना रखा है। जॉनसन की विदाई से रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने के अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के प्रयासों को कोई नुकसान भले न हो, लेकिन चीन और रूस इसे जी-20 समूह कमजोरी के संकेत के तौर पर देखेंगे। दोनों देशों के विदेश मंत्री फिलहाल बाली में मौजूद हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि वे बाली वार्ता के मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि इस वार्ता का एजेंडा यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के कारण दुनिया के सामने पैदा हुए खाद्य एवं ऊर्जा संकट पर बात करना, इसके लिए रूस को जिम्मेदार ठहराना और भविष्य में ऐसी किल्लत के मिलकर निपटने के मुद्दे पर बात करना है।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा है कि जी-20 समूह के लिए एकीकृत रुख प्रकट करना इतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना अहम देशों के छोट-छोटे समूहों का आवाज उठाना और कार्रवाई करना है। हालांकि, जी-20 समूह की तरफ से जारी संयुक्त बयान में आतंकवाद, अपराध, जलवायु और आर्थिक मुद्दों पर जोर दिया गया है।

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