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सरदार सरोवर डैम से दोगुना हुआ बिजली का उत्पादन

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भोपाल । गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरोवर बांध के जलग्रहण क्षेत्र में अच्छी बारिश से इस साल अब तक 2,142 मिलियन यूनिट (एमयू) बिजली का उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुना है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार अगस्त के महीने में सरदार सरोवर डैम में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन हुआ है।भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, गुजरात और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश दोनों में इस मानसून के मौसम में अच्छी बारिश हुई है और बांध में पानी ज्यादा होने के कारण ज्यादा बिजली का उत्पादन हुआ है। नर्मदा नदी के कुल बेसिन क्षेत्र 97,410 का 85,858 वर्ग किमी क्षेत्र मध्य प्रदेश में और 9,894 वर्ग किमी गुजरात में स्थित है।सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड द्वारा साझा किए गए डेटा (एसएसएनएनएल) के अनुसार, केवडिय़ा में स्थित बांध पर रिवर बेड पावर हाउस (आरबीपीएच) टर्बाइनों से, इस साल 20 सितंबर तक 2,142 एमयू बिजली का उत्पादन किया गया है, जबकि 2021 में सितंबर के अंत तक 1,129 एमयू बिजली का उत्पादन हुआ था। आरबीपीएच की स्थापित क्षमता 1,200 मेगावाट है।सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड द्वारा साझा किए गए डेटा में बताया गया कि 2,142 एमयू बिजली में से, कुल 1,849 एमयू जुलाई, अगस्त और सितंबर के मानसून महीनों में बनाई गई है। एसएसएनएनएल द्वारा साझा किये गए आंकड़ों के अनुसार इस साल अगस्त महीने में सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन किया गया है। अगस्त महीने में 901.298 एमयू बिजली का उत्पादन सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड द्वारा किया गया है।एसएसएनएनएल के इंजीनियर आर पारिख ने बताया कि, बहुत अच्छी बारिश के कारण मध्य प्रदेश से पिछले साल की तुलना में काफी ज्यादा मात्रा में पानी छोड़ा गया है। 2017 से बांध की ऊंचाई में वृद्धि ने भी बिजली उत्पादन बढ़ाने में योगदान दिया है। आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान बिजली 923.7 एमयू उत्पन्न हुई थी। पूरे 2021 में, आरबीपीएच ने 1,265.28 रू बिजली का उत्पादन किया। आरबीपीएच ने वित्त वर्ष 2013-14 में 5,216.80 एमयू का का सबसे ज्यादा बिजली का उत्पादन किया गया था। पारिख ने कहा, जहां तक इस साल सबसे ज्यादा बिजली के उत्पादन का सवाल है वो पानी की मात्रा पर निर्भर करता है। इस साल डैम में पानी की मात्रा ज्यादा थी इसलिए ज्यादा बिजली का निर्माण हुआ है। सबसे ज्यादा बिजली उत्पादन के 2013-14 के रिकॉर्ड को तोडऩे के सवाल पर पारिख ने कहा कि, हम यह नहीं कह सकते कि मध्य प्रदेश से पानी कब तक आता रहेगा और कब तक ओवरफ्लो जारी रहेगा। ऐसा कुछ पहले से पता नहीं है, इसलिए हम आरबीपीएच बिजली उत्पादन के सर्वकालिक रिकॉर्ड को तोडऩे के बारे में निश्चित रूप से नहीं कह सकते हैं। सरदार सरोवर जल विद्युत परियोजना (एसएसएचईपी) में क्रमश: 1,200 मेगावाट और 250 मेगावाट की स्थापित क्षमता वाले आरबीपीएच और कैनाल हेड पावर हाउस (सीएचपीएच) शामिल हैं। आंकड़ों में कहा गया है कि सीएचपीएच ने इस साल 20 सितंबर तक 589.3 एमयू बिजली का उत्पादन किया।मध्य प्रदेश एसएसएचईपी कॉम्प्लेक्स द्वारा उत्पन्न ग्रीन बिजली का सबसे बड़ा लाभार्थी है, जिसकी कुल स्थापित क्षमता 1,450 मेगावाट है। मध्य प्रदेश कुल ऊर्जा उत्पादन का 57 प्रतिशत हिस्सा लेता है, इसके बाद महाराष्ट्र 27 प्रतिशत और गुजरात 16 प्रतिशत का नंबर आता है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मध्य प्रदेश में अच्छी बारिश के अलावा, गेट की स्थापना के साथ बांध की ऊंचाई (शीर्ष स्तर पर पानी जमा किया जा सकता है) को 138.68 मीटर तक बढ़ाने से भी इसकी बिजली उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद मिली है। इस साल, बांध अपनी ऊंचाई में वृद्धि के बाद 17 सितंबर, 2017 को राष्ट्र को समर्पित होने के बाद तीसरी बार, 15 सितंबर को 138.68 मीटर के अपने पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) पर पहुंच गया। नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण (एनसीए) ने 2014 में 121.92 मीटर से बांध की ऊंचाई लगभग 17 मीटर बढ़ाकर 138.68 मीटर करने के लिए गुजरात सरकार को अपनी अंतिम मंजूरी दे दी थी। बांध पर रेडियल गेट 2017 में तैयार हो गए थे, और सभी गेट 2019 में पहली बार खोले गए थे। बांध 15 सितंबर, 2019 को अपने पहले एफआरएल पर पहुंच गया, फिर 17 सितंबर, 2020 को।

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