ग्वालियर: जीवाजी यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक कोर्सों की परीक्षा में आंतरिक मूल्यांकन और प्रायोगिक परीक्षा में अनुपस्थित रहने के वजह से जिन छात्रों को रिजल्ट खराब हुआ है, ऐसे छात्रों को एक और मौका दिए जाने की तैयारी है। इन छात्रों को परीक्षा देने का एक और मौका दिया जा सकता है।परीक्षा नियंत्रक कार्यालय में सोमवार को यह प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है। अब कुलपति प्रो. अविनाश तिवारी की अनुमति मिलते ही इस संंबंध आदेश भी जारी कर दिए जाएंगे। परीक्षा और गोपनीय विभाग के अफसरों के अनुसार यह आदेश जारी होने के बाद 2 से 3 हजार विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा और 10 फीसदी तक रिजल्ट में भी सुधार हो सकता है।उल्लेखनीय है कि इस सत्र में स्नातक कोर्स बीए, बीएससी और बीकॉम की परीक्षा देरी से शुरू हुई थी। आंतरिक मूल्यांकन और प्रायोगिक परीक्षा में भी समय पर न कराए जाने की वजह से कई विद्यार्थी ऐसे रह गए जिन तक सूचना नहीं पहुंची और वह प्रायोगिक परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन में अनुपस्थित रहे।रिजल्ट घोषित होने के बाद कुछ विद्यार्थियों ने इस संबंध में जेयू के अफसरों को बताया, ऐसे विद्यार्थियों की संख्या ज्यादा थी ऐसे में इन विद्यार्थियों को राहत देने के लिए यह प्रस्ताव तैयार किया गया है। सोमवार को इस प्रस्ताव पर परीक्षा नियंत्रक के कार्यालय में अफसरों के बीच चर्चा हुई और इसके बाद प्रस्ताव को कुलपति कार्यालय भेजने की सहमति बन गई। कुलपति कार्यालय से अनुमति मिलने के बाद विशेष प्रायोगिक परीक्षा का आदेश जारी कर दिया जाएगा।कुलपति से अनुमति मिलने के बाद निर्णय लिया जाएगाविशेष प्रायोगिक परीक्षा कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। ऐसे कई विद्यार्थी सामने आए जो प्रायोगिक परीक्षा और आंतरिक मूल्यांकन में अनुपस्थित रहे थे। छात्र हित में यह निर्णय लेकर प्रस्ताव कुलपति के पास भेजा जा रहा है। उनकी अनुमति मिलने के बाद निर्णय ले लिया जाएगा।-डॉ. अनिल कुमार शर्मा, परीक्षा नियंत्रक, जीवाजी यूनिवर्सिटी10 दिन से चल रहा है प्रस्ताव पर कामजीवाजी यूनिवर्सिटी से संबद्ध कॉलेजों में नई शिक्षा नीति के तहत हुई प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों को प्रायोगिक परीक्षा और आंतरिक मूल्यांकन में एक और मौका दिए जाने पर मंथन पिछले 10 दिन से चल रहा है। बीच में दीपावली की छुटि्टयों की वजह से इस पर काम नहीं हो पाया। 16 अक्टूबर तक यूजी कोर्सों के सारे रिजल्ट घोषित कर दिए गए थे।रिजल्ट के विश्लेषण में पता चला कि पूरक और फेल होने वाले विद्यार्थियों में कई विद्यार्थी ऐसे हैं, जो आंतरिक मूल्यांकन या प्रायोगिक परीक्षा में शामिल नहीं हुए हैं। ऐसे विद्यार्थियों के बारे में पता चला कि कुछ विद्यार्थी निजी वजहों से परीक्षा में शामिल नहीं हो पाए तो कुछ को समय पर सूचना नहीं मिली। इसके बाद विशेष प्रायोगिक परीक्षा और आंतरिक मूल्यांकन कराने का प्रस्ताव तैयार किया गया।
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