रोहतक: रोहतक पीजीआइ में धरने पर बैठे एमबीबीएस छात्रहरियाणा के रोहतक स्थित PGI में MBBS छात्रों का धरना पिछले 27 दिनों से जारी है। लगातार धरने पर बैठे छात्रों ने 24 नवंबर से भूख हड़ताल भी शुरू कर दी। भूख हड़ताल पर बैठे तीन छात्रों की तबीयत खराब हो गई, जिन्हें उपचार के लिए इमरजेंसी में भर्ती करवाना पड़ा। वहीं अब सभी छात्र ठीक है।इधर, पीजीआइ में 12 छात्रों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। साथ ही छात्रों का कहना है कि अब आंदोलन सरकार के निर्णय पर तय होगा। अगर सरकार उनकी मांग मान लेती है तो वे आंदोलन समाप्त कर देंगे। अगर मांगें नहीं मानी जाती तो उनका आंदोलन और भी अधिक तेज किया जाएगा। जिसमें विभिन्न संगठन समर्थन कर चुके हैं।रोहतक पीजीआइ में धरने पर बैठे एमबीबीएस छात्रअन्य प्रदेशों बाँड पॉलिसी नहींMBBS स्टूडेंट ने कहा कि देशभर के करीब 16 प्रदेशों में तो बाँड पॉलिसी लागू ही नहीं होती। जिन प्रदेशों में लागू की जा रही है, वहां सर्विस बाँड पॉलिसी लागू है। जब MBBS स्टूडेंट पढ़ाई पूरी करने के बाद सरकारी संसथान में सेवा नहीं देते तो उन्हें बाँड की राशि देनी होती है। जबकि हरियाणा में पहले ही विद्यार्थियों पर लोन का बोझ डाला जा रहा है।विद्यार्थियों पर डाला जा रहा 40 लाख का बोझछात्रों ने कहा कि सरकार अब 40 लाख रुपये का बोझ डाला जा रहा है। जब अधिकारियों से बातचीत हुई तो उनका कहना था कि यह सर्विस बाँड नहीं है। विद्यार्थियों से फीस के रूप में लिए जा रहे हैं। ताकि विद्यार्थियों पर होने वाले खर्च को पूरा किया जा सके। जिसके कारण विद्यार्थियों में रोष है।1 नवंबर को शुरू किया था धरनाMBBS स्टूडेंट्स ने रोहतक पीजीआइ में बाँड पॉलिसी के विरोध में 1 नवंबर को धरना आरंभ किया था। जो लगातार जारी है। इस 26 दिन के अंतराल में विद्यार्थियों ने अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन किया। अब भूख हड़ताल शुरू कर दी है। साथ ही अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया।4 साल में देने होंगे 40 लाखMBBS स्टूडेंट ने कहा कि नई बाँड पॉलिसी के तहत उन्हें प्रतिवर्ष 10 लाख रुपए देने होंगे। चार साल में विद्यार्थियों को कुल 40 रुपए देने पड़ेंगे। जबकि प्रतिवर्ष करीब 80 हजार रुपए फीस लगती थी। इस पॉलिसी के तहत MBBS स्टूडेंट्स को 7 साल तक सरकारी संस्थानों में सेवाएं देनी होंगी। जबकि छात्रों की मांग है कि 40 लाख की राशि का बाँड हटाया जाए। साथ ही वे सेवा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन सरकारी संस्थाओं में ड्यूटी करने की अवधि 7 साल से घटाकर एक साल की जाए। क्योंकि अगले वर्ष नए छात्र मिल जाएंगे।
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