छत्तीसगढ़ विधानसभा में शुक्रवार को छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक 2022 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आज का दिन बहुत विशेष दिन है क्योकि आज महत्वपूर्ण और विशेष निर्णय हुए हैं इसलिए विधानसभा के सत्र को विशेष सत्र कहा गया।
आरक्षण संशोधन विधेयक में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत तथा अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसी प्रकार आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 4 प्रतिशत आरक्षण का लाभ मिलेगा। सदन में आज दो विधेयक छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियो, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 तथा छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2022 सर्वसम्मति से पारित किया गया।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि मध्यप्रदेश लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण) 1994 के छत्तीसगढ़ राज्य में अनुकूलन के बहुत लम्बे समय बाद वर्ष 2011-12 में तत्कालीन सरकार जागी थी। आज उस सरकार के लोग विपक्ष में हैं और वे हम पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन 2004 से लेकर 2012 तक की लम्बी अवधि तक जब अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों का नुकसान होता रहा तब इन्हें इस बात की चिन्ता क्यों नहीं हुई। आज जब हमारी सरकार संशोधन विधेयक के माध्यम से इन वर्गों के लिए प्रावधान लेकर आई है तब वे न तो आरक्षण की जरूरत पर चर्चा कर रहे हैं और न इस बात पर कि छत्तीसगढ़ की परिस्थितियां क्या है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आरक्षण विधेयक की जितनी चिन्ता हम सब को है उतनी ही राज्यपाल महोदया को है, वे कह चुकी हैं कि उनके सामने विधायक आते ही वे तत्काल दस्तखत करेंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज विधेयक पारित होते ही वे मंत्रियों सहित राजभवन जाएंगे और आज ही राज्यपाल महोदया से दस्तखत करने का आग्रह करेंगे।
मुख्यमंत्री ने सभी दलों से आग्रह किया कि सभी दल दलगत भावना से उपर उठकर छत्तीसगढ़ की सामाजिक आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति से मिलकर छत्तीसगढ़ में आरक्षण के नए प्रावधानों को 9वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रयास किया जाए।