पुराने मैसूर में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना चाहती बीजेपी
बीजेपी पुराने मैसूर में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाना चाहती है जहां से 64 विधायक आते हैं। अभी उसके पास सिर्फ 13 सीटें हैं। वहीं बैंगलुरु में 28 में से 16 सीटों पर जीत मिली थी। कल्याण में कुल 40 सीटें हैं। 2013 से 2018 तक बीजेपी ने कर्नाटक की गद्दी पर राज किया। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी लेकिन राज्य में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार बनी थी। 2019 में 18 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया। इनमें से अधिकतर कांग्रेस से थे। इसके बाद बीजेपी यहां सत्ता में लौटी। इनमें से अधिकतर ने बीजेपी के सिंबल पर उपचुनाव में जीत हासिल की। भाजपा को इस बात की उम्मीद है कि कुर्बा लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के नेता बीजेपी का दामन थामेंगे। पुराने मैसूर क्षेत्र में ये समुदाय प्रभावशाली है। बीजेपी पदाधिकारी ने कहा कि कर्नाटक में हमारे पास पहले से ही वोक्कालिगा समुदाय से सात मंत्री हैं। केंद्र में भी एक मंत्री है। आगामी विधानसभा चुनावों से पहले इस समुदाय के और नेताओं के बीजेपी में शामिल होने की उम्मीद है। इसकी वजह से मांड्या हसन और चामराजनगर जैसे क्षेत्रों में बीजेपी के पक्ष में परिणाम सामने आएंगे। बीजेपी को लिंगायत समुदाय के समर्थन का पूरा भरोसा है जो पहले भी भगवा पार्टी का समर्थन करती रही है। कर्नाटक में इनकी आबादी करीब 17 प्रतिशत है। बीजेपी ही नहीं तमाम दलों को कर्नाटक के जातीय समीकरण पर निर्भर रहना पड़ता है।

राज्य में किए गए विकास कार्य पार्टी की मदद करेंगे: अरुण सिंह
बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव और राज्य के प्रभारी अरुण सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता के साथ-साथ राज्य में किए गए विकास कार्य पार्टी की मदद करेंगे। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं है। उनकी साफ छवि है। वह काफी लोकप्रिय भी हैं। कांग्रेस उनके खिलाफ एक अभियान चला रही है। इससे कर्नाटक के लोग खुश नहीं हैं। वे इसे कन्नड़ गौरव पर हमले के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी की सरकार ने अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की सीमा को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति के लिए 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत करने का निर्णय लिया। इससे बीजेपी को आने वाले चुनाव में लाभ मिलेगा।