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इस वक्त अमेरिका की करीब 8 यूनिवर्सिटीज में इजराइली हमलों के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं. US पुलिस ने सैकड़ों छात्रों को हिरासत में लिया. लेकिन प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. यूनिवर्सिटीज में मौजूद यहूदी छात्रों और इजराइल समर्थकों में इन विरोधों के कारण अपनी सुरक्षा को लेकर डर बना हुआ है. अब इन छात्रों के प्रदर्शनों को लेकर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की भी प्रतिक्रिया आ गई है. नेतन्याहू ने इन प्रदर्शनों की तुलना 1930 में हुए जर्मनी यूनिवर्सिटी में यहूदियों के खिलाफ प्रदर्शनों से की है.

एक वीडियो संदेश में इजराइली पीएम ने आरोप लगाया कि अमेरिका में ‘यहूदी विरोधी भावना’ में तेजी से वृद्धि हुई है. उन्होंने मांग की है कि इसको रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए. बता दें कोलंबिया, हार्वर्ड, येल और न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी सहित कई यूनिवर्सिटीज में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. जिसमें सैकड़ों लोगों को गिरफ्तार किया गया है और यूनिवर्सिटी का कामकाज इनसे बड़े पैमाने पर प्रभावित हुआ है.

“प्रदर्शनों के भयानक परिणाम होंगे”

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बेंजामिन नेतन्याहू ने प्रदर्शनों के बारे में कहा कि यह गलत है, इसे रोकना होगा. इसकी निंदा की जानी चाहिए. उन्होंने आगे कहा प्रदर्शनकारी इज़राइल की मौत (Death to Israel) और यहूदियों की मौत (Death to the Jews) के नारे लगाने के साथ-साथ अमेरिका की मौत (Death to America) के नारे भी लगा रहे हैं. इजराइली प्रधानमंत्री ने इस बारे में आगे कहा, यह हमें बताता है कि अमेरिका में यहूदी विरोधी लहर है जिसके भयानक परिणाम होंगे हम पूरे अमेरिका और पश्चिमी समाज में यहूदी विरोधी भावना में बढ़ोत्तरी देख रहे हैं, ये सब 1930 में हुए जर्मनी यूनिवर्सिटी में यहूदियों के खिलाफ प्रदर्शनों की तरह है.

1930 में जर्मन कैंपसिस में यहूदी विरोध

1930 के दशक में पूरे जर्मन में यहूदी विरोधी लहर फैल गई थी. ये नफरत इतनी खतरनाक थी कि इसने अपनी जगह जर्मन की यूनिवर्सिटियों में भी बना ली थी. 1930 में जर्मन विश्वविद्यालय में यहूदियों के निष्कासन के लिए अधिकारियों पर दबाव डालने के लिए कई प्रदर्शन हुए थे. ऐसे ही कई विरोध बड़े होते हुए यहूदी नरसंहार के रूप में बदल गए थे.

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