भारत का ट्रैक रिकॉर्ड काफ़ी अच्छा’ वंदे भारत मिशन’ के तहत 24 फ़रवरी, 2022 तक 73.82 लाख यात्रियों को दूसरे देशों से भारत लाया गया है
ऐतिहासिक रूप से विदेश में आपदा के समय फंसे अपने नागरिकों को निकालने में भारत का ट्रैक रिकॉर्ड काफ़ी अच्छा रहा है.
अचल मल्होत्रा कहते हैं, “अगर पिछले कुछ दशकों पर नज़र डालें, तो फंसे हुए भारतीयों को निकालने का भारत का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा रहा है. बहुत सारे देशों से हमने अपने नागरिकों को निकाला है. न केवल अपने नागरिकों को बल्कि दूसरे देशों के नागरिकों को भी बाहर निकालने मदद की है. आप यमन की मिसाल ले लें या फिर और पीछे जाएं तो तो कुवैत से हमने फंसे लोगों को निकाला है. तो हमारा ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा है.”
1990 में खाड़ी युद्ध के दौरान भारत ने बड़े पैमाने पर अपने नागरिकों को वहां से निकालने का काम किया था. पहले इसने कुवैत में फंसे सभी भारतीयों को जॉर्डन भेजा और फिर उन्हें भारत लाया.
उस शानदार ऑपरेशन के दौरान, कुवैत में फंसे 1,70,000 से अधिक भारतीयों को निकाला गया था. इस अभियान में एयर इंडिया, इंडियन एयरलाइंस और भारतीय वायुसेना के विमानों की सेवाएं ली गई थीं. उस काम को दो महीनों में अंज़ाम दिया गया था.
उस समय भारत को ग़रीब देश माना जाता था और एयर इंडिया 19 विमानों के बेड़े के साथ एक छोटी एयरलाइन थी. बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘एयरलिफ़्ट’ उसी ऑपरेशन पर आधारित थी.
कुवैत के अलावा, एयर इंडिया ने यमन, लेबनान, मिस्र, लीबिया और ट्यूनीशिया सहित विभिन्न देशों के लोगों को निकालने के लिए भी उड़ानें संचालित की हैं. फिर 2016 में बेल्जियम में आतंकी हमलों में फंसे सैकड़ों भारतीयों को तुरंत निकालने के काम को अंज़ाम दिया गया.
हालांकि भारत के इतिहास का अब तक का सब से बड़ा निकासी कार्यक्रम कोरोना महामारी के दौरान अंज़ाम दिया गया, जिसे ‘वंदे भारत मिशन’ के नाम से जाना जाता है.
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, ‘वंदे भारत मिशन’ के तहत 24 फ़रवरी, 2022 तक 73.82 लाख यात्रियों को दूसरे देशों से भारत लाया गया है.
एयर इंडिया ने अकेले इस काम को पूरा किया, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा हुआ था. एयर इंडिया ने इन यात्रियों को देश वापस लाने के लिए 54,800 उड़ानें भरी हैं. ये मिशन औपचारिक रूप से मई 2020 में शुरू हुआ. और अभी तक इसकी समाप्ति की घोषणा नहीं की गई है.