नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में व्यवस्था दी है कि दूसरी पत्नी से पैदा हुए सौतेले बच्चे को पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे बच्चे को रोजगार देने से मना करना संविधान के अनुच्छेद 16 (2) का घोर उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने यह फैसला देते हुए रेलवे को आदेश दिया कि वह मृत रेलवेकर्मी जगदीश के पुत्र को, जो उसकी दूसरी पत्नी से पैदा हुआ था, को नौकरी देने पर विचार करे। सिर्फ पहली पत्नी के बच्चे को मंजूरी देने वाला रेलवे का 2 जनवरी 1992 की अधिसूचना भेदभावपूर्ण है। पीठ ने कहा, हिन्दू विवाह कानून, 1955 की धारा 16 में भी स्पष्ट है कि पहली पत्नी के रहते यदि हिन्दू पुरुष दूसरी शादी कर लेता है और उससे संतान पैदा होती है तो वह वैध संतान मानी जाएगी। ऐसे बच्चे को अवैध नहीं कहा जा सकता। जिस संबंध से बच्चा पैदा हुआ उसे अवैध संबंध तो कहा जा सकता है, लेकिन बच्चा अवैध नहीं हो सकता। रेलवे के विवादित 2 जनवरी 1992 सर्कुलर में कहा गया था कि यदि कोई कर्मचारी प्रशासन से बिना अनुमति के दूसरा विवाह करता है तो उसे रेलवे की सुविधाएं जिसमें नौकरी शामिल है नहीं दी जाएगी।
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