
शिमला। उपचुनाव से पहले आशंकाएं और संभावनाएं दोनों ओर थी। लेकिन इस मुकाबले में कांग्रेस का 4-0 से जीतना भाजपा और सरकार के लिए झटका है। वह भी तब, जब अगले वर्ष हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। भाजपा को मंडी लोकसभा सीट पर हार का सामना करना पड़ा है।
प्रतिभा वीरभद्र सिंह जीत गई हैं। यह सीट भाजपा सांसद राम स्वरूप शर्मा के देहांत के बाद खाली हुई थी। तीन विधानसभा क्षेत्रों में फतेहपुर में सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी पठानिया ने जीत दर्ज की है। अर्की भी कांग्रेस की झोली में रह गया है। यह सीट वीरभद्र सिंह के निधन से खाली हुई थी। जुब्बल कोटखाई सीट भाजपा विधायक नरेंद्र बरागटा के देहावसान से खाली हुई थी और अब रोहित ठाकुर ने इसे कांग्रेस की झोली में डाल दिया
पूरा चुनाव मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा के जिम्मे था : वास्तव में यह पूरा चुनाव मुख्यमंत्री और हिमाचल प्रदेश भाजपा के जिम्मे था। केवल टिकट आवंटन में आलाकमान की छाप थी। मंडी में भाजपा को अपने काम और मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के पर भरोसा था और कांग्रेस को वीरभद्र सिंह के प्रति सहानुभूति के साथ यह भी विश्वास था कि भाजपा तेल में फिसल जाएगी। तेल खाने वाला हो या डीजल और पेट्रोल

हिमाचल में हर पांच साल के बाद सत्ता परिवर्तन : क्योंकि विधानसभा चुनाव में अब एक वर्ष बचा है, इसलिए जानकार इसे इससे जोड़ कर भी देख रहे हैं कि यह अगले वर्ष के लिए कोई संकेत है। हिमाचल में वर्षों से यह परंपरा है कि हर पांच साल बाद शासन करने वाला दल बदल जाता है।
आने वाले कुछ दिन महत्वपूर्ण : आने वाले कुछ दिन इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस हार की समीक्षा होगी। भाजपा के लिए मूलतः यह दो क्षेत्रों की हानि है। एक जुब्बल कोटखाई और दूसरा मंडी। मंडी मुख्यमंत्री का गृहजिला है और यह बात उपचुनाव प्रचार में जोर शोर से उठाई गई कि ‘मंडी मेरी है।’ कांग्रेस को इस पर आपत्ति यह थी कि सीएम तो पूरे प्रदेश का होता है। क्योंकि इस सीट से मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा जुड़ी है, इसलिये आलाकमान मंथन अवश्य करेगा।
जुब्बल कोटखाई कैसे फतेहपुर और मंडी से अलग : इस परिणाम ने एक और दृश्य दिया है। जुब्बल कोटखाई में चेतन बरागटा के काम उनके पिता नरेंद्र बरागटा के लिए उमड़ी सहानुभूति नहीं आ सकी। मंडी में वीरभद्र सिंह के लिए सहानुभूति दिखी और यही दिखा फतेहपुर में जहां कांग्रेस के दिवंगत विधायक सुजान सिंह पठानिया के पुत्र भवानी सिंह जीत गए।