
पटना। बिहार में अचानक जहरीली शराब से मौत के कई मामले सामने आने के बाद सरकार पर शराबबंदी की समीक्षा के लिए दबाव बढ़ा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जल्द ही अफसरों के साथ इस मसले पर बैठक करने वाले हैं। बहुत से लोग चाहते हैं कि शराबबंदी का फैसला खत्म कर देना चाहिए। सवाल यह है कि क्या सरकार ऐसा करेगी? शराबबंदी से जुड़े प्रावधान में एक बड़ी छूट पिछले दिनों सरकार ने दी थी। सवाल यह है कि क्या सरकार इसका दायरा बढ़ाएगी? इन सवालों के जवाब आपको मुख्यमंत्री के साथ ही भाजपा और जदयू के तमाम नेताओं के बयानों में मिल जाएगा।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद ही कई मौकों पर साफ कर चुके हैं कि कुछ लोग शराबबंदी के फैसले से खुश नहीं हैं। वे सरकार को अस्थिर करने की कोशिश भी इसलिए ही करते रहते हैं। बावजूद इसके उन्होंने हर बार यह साफ किया है कि इस फैसले को बदलने की कोई संभावना नहीं है। बिहार विधानसभा के स्पीकर और भाजपा नेता विजय सिन्हा ने भी शनिवार को शराबबंदी को जरूरी बताया। उन्होंने इसके लिए शासन-प्रशासन में बैठे लोगों की जिम्मेदारी तय करने के साथ ही विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में बैठे लोगों से ईमानदार पहल की जरूरत जताई। उन्होंने शराबंदी को आगे बढ़ाने के लिए सामाजिक जागरुकता अभियान की भी वकालत की
भाजपा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने शराब पीकर मरने वाले लोगों के स्वजनों को चार लाख रुपए मुआवजा देने की मांग की है। साथ ही शराब धंधेबाजों को फांसी की सजा देने की मांग उन्होंने की है। इधर, भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने कहा कि विपक्ष जानबूझ कर शराबबंदी को फेल करने की साजिश रच रहा है। विपक्षी पार्टियों के लोग ही शराब का धंधा करते हैं।