महाराष्ट्र पुलिस विभाग की विश्वसनीयता पर इस साल जितने सवाल उठे, उतने शायद पहले कभी नहीं उठे थे। कुछ बडे़ अधिकारियों और पूर्व पुलिस कर्मियों के खिलाफ मामले दर्ज हुए, तो कुछ जेल ही पहुंच गए। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर ‘एंटीलिया’ के बाहर से विस्फोट बरामद होने, उद्योगपति मनसुख हिरन की हत्या के मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की गिरफ्तारी हुई, जिन्हें अब बर्खास्त कर दिया गया है। इसके बाद भ्रष्टाचार के कई मामलों में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह का निलंबन हुई। ये सब घटनाक्रम महाराष्ट्र पुलिस की इस साल रही स्थिति को बयां करते हैं।
भ्रष्टाचार के आरोप लगने पर गृह मंत्री के पद से इस्तीफा देने के सात महीने बाद इस साल नवंबर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अनिल देशमुख की गिरफ्तारी हुई। वहीं, अक्टूबर में एक क्रूज़ पर से मादक पदार्थों की कथित बरामदगी के मामले में शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) के अधिकारी समीर वानखेड़े के धर्म-जाति को लेकर उत्पन्न हुआ विवाद भी इस साल चर्चा का विषय बना। इसने राजनेताओं और सरकारी अधिकारियों के आचरण पर भी सवाल उठाए।