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महेंद्र प्रसाद के नाम के आगे लगाया जाता था ‘‘King”…. जानिए गरीब किसान के बेटे की अरबपति बनने की कहानी

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पटनाः जदयू से राज्यसभा के सदस्य और उद्योगपति महेंद्र प्रसाद का रविवार रात को एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। वह 81 वर्ष के थे। प्रसाद के नाम के आगे अकसर ‘‘किंग” (राजा) शब्द लगाया जाता था, जिसके पीछे एक बड़ी वजह है। महेंद्र प्रसाद गरीबी और बेरोजगारी से तंग आकर 24 साल की उम्र में ही मुंबई भाग गए थे। वहीं 16 साल के बाद वह ‘किंग’ बनकर वापस लौटे थे।

बिहार के जहानाबाद से लगभग 17 किलोमीटर दूर गोविंदपुर गांव के एक भूमिहार परिवार में महेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ था। पिता वासुदेव सिंह साधारण किसान थे। इसके बावजूद उन्होंने महेंद्र को पटना कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए करवाई। इसके बाद उनकी नौकरी नहीं लगी तो वह गांव पहुंच गए और काफी परेशान थे। घर की माली हालत ठीक नहीं थी। उस समय उन्हें एक साधु मिला, जिसने उनको एक पुड़िया दी। साथ ही कहा कि इसे नदी किनारे जाकर सपरिवार खा लेना, सारा दुख दूर भाग जाएगा। ग्रेजुएशन के बाद से बेरोजगारी झेल रहे महेंद्र को पता नहीं क्या सूझा, उन्होंने घर के लोगों को नदी किनारे ले जाकर पुड़िया दे दी और खुद भी खा लिया, इसमें परिवार के 2 लोगों की मौत हो गई। यह घटना 1964 की है।

वहीं इस हादसे के बाद जब उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिली तो वह गांव छोड़कर मुंबई चले गए। 16 साल बाद वह जहानाबाद 1980 में लोकसभा चुनाव लड़ने लौटे। उस समय वह कांग्रेस के उम्मीदवार थे। पहली बार जहानाबाद के लोगों ने चुनाव में एक साथ इतनी गाड़ियां और प्रचारकों को देखा था। गाड़ियों की चमक और पैसों की खनक ने लोगों के मन में उनकी छवि किंग वाली बना दी।

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बता दें कि महेंद्र प्रसाद ने स्थानीय लोगों की मांग पर गरीब और वंचित लोगों के बीच उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ओकारी, जहानाबाद में एक कॉलेज शुरू किया। इससे उन लड़कियों को भी मदद मिली जिन्हें उच्च शिक्षा के लिए बाहर जाने की अनुमति नहीं मिलती थी। उनके परोपकारी कार्यों ने उन्हें युवाओं के बीच एक कल्ट के रूप में स्थापित कर दिया और एक साधारण किसान का बेटा ‘किंग’ कहा जाने लगा।

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