प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अहमदाबाद से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 10 नई वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखा दी है। इस दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, सीएम भूपेन्द्र पटेल और राज्य भाजपा प्रमुख सीआर पाटिल भी मौजूद थे। अब वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों की कुल संख्या 50 से अधिक हो जाएगी, जो पूरे देश में 45 मार्गों को कवर करेगी। इस पहल का उद्देश्य पूरे भारत में कनेक्टिविटी बढ़ाना और रेल परिवहन को सुव्यवस्थित करना है।
पीएम मोदी ने जिन वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई है। उनमें अहमदाबाद-मुंबई सेंट्रल, सिकंदराबाद-विशाखापत्तनम, मैसूरु-डॉ एमजीआर सेंट्रल (चेन्नई), पटना-लखनऊ, न्यू जलपाईगुड़ी-पटना, पुरी-विशाखापत्तनम, लखनऊ-देहरादून, कालाबुरागी-सर एम विश्वेश्वरैया टर्मिनल बेंगलुरु और रांची वाराणसी शामिल हैं।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि विकसित भारत के लिए हो रहे नव निर्माण का लगातार विस्तार हो रहा है। देश के कोने-कोने में परियोजनाओं का लोकार्पण हो रहा है। नई योजनाएं शुरू हो रही हैं। मैं आज देश को गारंटी दे रहा हूं कि अगले 5 साल में आप भारतीय रेल का ऐसा कायाकल्प होते देखेंगे, जिसकी आपने कल्पना भी नहीं की होगी। आज का ये दिन इसी इच्छाशक्ति का जीता-जागता सबूत है।
पीएम मोदी ने आगे कहा- अगर मैं साल 2024 की ही बात करूं, तो इन करीब 75 दिन में 11 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास हो चुका है। अकेले पिछले 10-12 दिन में ही 7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास हुआ है। आज भी विकसित भारत की दिशा में देश ने एक बहुत बड़ा कदम उठाया है। इस कार्यक्रम में आज यहां 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की परियोजनाओं का लोकार्पण एवं शिलान्यास हुआ है। इनमें से 85 हजार करोड़ रुपये से अधिक के रेलवे प्रोजेक्ट्स आज देश को मिले हैं।
इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा- भारत एक युवा देश है। यहां बहुत बड़ी संख्या में युवा यहां रहते हैं। मैं खासतौर से मेरे युवा साथियों से कहना चाहता हूं कि आज जो लोकार्पण हुआ है वो आपके वर्तमान के लिए है और आज जो शिलान्यास हुआ है वो आपके उज्ज्वल भविष्य की गारंटी लेकर आया है। 2014 से पहले देश में नॉर्थ ईस्ट के 6 राज्य ऐसे थे जहां की राजधानी हमारे देश के रेलवे से नहीं जुड़ी थी। 2014 में देश में 10 हजार से ज्यादा मानव-रहित रेलवे फाटक थे। वहां लगातार एक्सीडेंट होते थे। 2014 में सिर्फ 35% रेल लाइनों का विद्युतीकरण हुआ था। रेल लाइनों का दोहरीकरण पहले की सरकारों की प्राथमिकता में ही नहीं था।