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इन्दौर में महंगाई भत्ता, पदोन्नति और पुरानी पेंशन मांग को लेकर कलेक्ट्रेट के बाहर जोरदार प्रदर्शन 

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इन्दौर । कुछ पड़ौसी राज्यों में ‘पुरानी पेंशन योजना’ फ‍िर शुरू करने की घोषणा के साथ ही मध्य प्रदेश में भी कर्मचारी संगठनों ने मांग शुरू कर दी है। शुक्रवार को इन्दौर में म.प्र. अध‍िकारी-कर्मचारी संयुक्त मोर्चा के प्रदेशव्यापी आव्हान पर इन्दौर जिले के कर्मचारियों ने रैली निकालकर कलेक्ट्रेट के बाहर जोरदार प्रदर्शन कर भाजपा की श‍िवराज सरकार के ख‍िलाफ आक्रोश व्यक्त किया।
संयुक्त मोर्चा के संरक्षक हरीश बोयत और जिलाध्यक्ष रमेश यादव की अगुवाई में इन्दौर जिले में विभ‍िन्न विभागों में पदस्त कर्मचारियों ने मालव कन्या हा.से. स्कूल परिसर में ‘सभा’ के माध्यम से सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। इसके बाद रैली के रूप में प्रशासनिक संकुल पहुंचे और जोरदार प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री के नाम एसडीएम अंशुल खरे को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में प्रदेश के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने, 11 प्रतिशत डीए, क्रमोन्नति एवं पदोन्नत‍ि जैसी प्रमुख मॉंग शामिल थी।
सभा को सम्बोध‍ित करते हुए हरीश बोयत ने कहा कि श‍िवराज सरकार समय रहते पुरानी पेंशन बहाली सहित कर्मचारियों की समस्याओं निराकरण का करें, अन्यथा आने वाले समय में प्रदेश के कर्मचारी मैदानी लड़ाई लड़ने में पीछे नहीं रहेंगे। मोर्चा प्रवक्ता एवं पुरानी पेंशन बहाली संघ के जिलाध्यक्ष दिनेश परमार ने कहा कि कर्मचारियों की पेंशन योजना को समय रहते सरकार को लागू करना चाहिए। महंगाई के इस युग में अपने परिवार के पालन पोषण के लिए कर्मचारी अभी से चिंतित है, जिस कारण वह पूरे मनोयोग से अपने कर्तव्य का पालन करने में अपने आप को असहज महसूस कर रहा है। उन्होने बताया कि शुक्रवार को ज्ञापन सौंपकर सरकार से अभी तो सिर्फ अनुरोध किया है, यदि मॉंगों का शीघ्र निराकरण नहीं हुआ, तो प्रदेशभर के कर्मचारी आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।
:: चेतावनी, मांगे नहीं मानी तो ‘सरकार’ को बदलने में भी पीछे नहीं रहेंगे ::
सभा को मोर्चा जिला अध्यक्ष रमेश यादव, म.प्र. तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष राजकुमार पांडेय, शासकीय अध्यापक संघ के प्रवीण यादव, शिक्षक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष आलोक परमार, लघु वेतन कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष भीम सिंह कुशवाह, लिपिक वर्ग कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष प्रकाश दुबे, शासकीय अध्यापक संगठन के प्रांतीय महामंत्री अशोक मालवीय, राज्य कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष अशोक बौरासी, राधाकृष्ण शर्मा, जसवीर सलुजा, गिरीश तेजवानी, रजनी पांडेय, पवन शर्मा, राजेश शर्मा, कमलेश सिंह, संदीप धोलपुरे आदि ने भी सम्बोध‍ित किया। कर्मचारी नेताओं ने स्पष्ट रूप से सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने कर्मचारियों की मांगों का निराकरण नहीं किया तो आने वाले समय में कर्मचारी ‘सरकार’ को बदलने में भी पीछे नहीं रहेंगे। कर्मचारी सभा व प्रदर्शन के दौरान सैकड़ों की संख्या में अध‍िकारी, कर्मचारी व श‍िक्षक साथी उपस्थ‍ित थे। कार्यक्रम का संचालन राजकुमार पांडे ने किया। मोर्चे के प्रवक्ता दिनेश परमार ज्ञापन का वाचन किया।
:: पुरानी पेंशन योजना बहाल करने का बना रहे दबाव ::
उल्लेखनीय है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन बहाली का ऐलान हो चुका है। झारखंड भी पुरानी पेंशन बहाल करने को तैयार है। पंजाब चुनाव में भी राजनीतिक दलों ने इसका ऐलान किया है। चुनाव से पहले सक्रिय हुए कर्मचारी संगठनों ने अब ‘कर्मचारी हितैषी’ मध्य प्रदेश की श‍िवराज सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। दिहाड़ी कर्मचारियों के नियमितीकरण व 2016 से विनियमित किये गये स्थाईकर्मी को भी 6वॉं व 7वॉं वेतनमान का लाभ व नियमित कर्मचारियों को समान मिलने वाली अन्य सुविधाओं की मॉंग अब कर्मचारी संगठनों की प्राथमिकता में नज़र नहीं आ रहा है, उन्हें अब ‘पुरानी पेंशन योजना’ में ही अपनी भलाई नज़र आ रही है और वह इसे बहाल करने का सरकार पर दबाव बढ़ा रहे है। हालांकि फिलहाल मप्र सरकार इस पर कोई निर्णय लेने से बचेगी। क्योंकि मप्र में भारत सरकार द्वारा 1 जनवरी 2005 से लागू की गई नई पेंशन योजना को लागू है। भारत सरकार का इसी योजना पर जोर है। यदि मप्र पुरानी पेंशन योजना को बहाल करता है तो फिर इसके लिए मौजूदा भारत सरकार को भरोसे में लेना होगा।
:: विधानसभा में उठेगी मांग ::
प्रदेश में यूं तो फिलहाल कोई बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम नहीं है, जिससे विपक्ष सरकार की घेराबंदी करे। लेकिन विपक्ष चुनावी फायदे के लिए विधानसभा के बजट सत्र में कर्मचारियों की मांगों को जोर-शोर से उठा सकता है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस भी दिहाड़ी कर्मचारियों के नियमितीकरण के मुद्दें पर चुप्पी साधे हुए है और पदोन्नति में आरक्षण के साथ पुरानी पेंशन योजना की बहाली को विधानसभा में उठाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसी रणनीति के तहत मप्र कांग्रेस के विधायकों ने पुरानी पेंशन को लेकर पत्र लिखे हैं।

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