बोरिंग माफियाओं की मनमानी से इंदौर में गहराया जल संकट नहीं रोक लगा पा रहा नगर निगम, आज भी रोजाना हो रहे 20-25 अवैध बोरिंग
इंदौर में जल संकट लगातार गहराता चला जा रहा है नगर निगम ढाई सौ से ज्यादा टैंकर अटैच करने की बात कर चुका है इसके बावजूद जल संकट गहरा रहा है इसका मुख्य कारण बोरिंग माफिया बने हुए इंदौर में सार्वजनिक से ज्यादा निजी उपयोग के लिए हर एक घर में बोरिंग करा लिए गए हैं बगैर किसी अनुमति के रोजाना 20 से 25 बोरिंग शहर में हो रहे है।
शहर में जल संकट गहराने के बाद नगर निगम ने आनन-फानन मैं अफसरों के नंबर सोशल मीडिया के माध्यम से जारी किए हैं लेकिन एक भी अफसर फोन उठाने को तैयार नहीं है। शहर में बढ़ रहे जल संकट का कारण सबसे पहले नगर निगम ही बना है नगर निगम की गलती से इंदौर जल संकट से गुजर रहा है। शहर में अवैध बोरिंग ओ की भरमार से पानी का स्तर लगातार गिरता चला जा रहा है। इंदौर में हजारों की तादाद में अवैध तरीके से किए गए निजी बोरिंग से लोग व्यापार चला रहे हैं। कई क्षेत्रों में लोग इसी निजी बोरिंग से पानी का व्यवसाय भी कर रहे हैं। ऐसे में सरकार द्वारा अधिसूचना जारी की गई थी कि इंदौर में जल स्तर बढ़ने के बाद की तमाम पाबंदियों को खत्म कर दिया गया था लेकिन नगर निगम को बोरवेल की गाड़ियों के पंजीयन करने थे। ताकि शहर में हो रहा है बोरिंग का पूरा रिकॉर्ड नगर निगम के पास मौजूद रहे हैं ऐसे में जलस्तर भी मापा जा सके। लेकिन शहर में अवैध बोरिंग होते चले गए और जल संकट गहराता चला गया। लेकिन इसके बावजूद नगर निगम अब तक अवैध बोरिंग पर रोक नहीं लगा पा रहा है। जोनल अफसरों से मिलीभगत कर बोरिंग माफिया हर गली मोहल्ले में बोरिंग खोद रहे हैं। यह भविष्य के लिए बड़ा चिंतन का विषय साबित हो रहा है।
अनेक क्षेत्रों में जलसंकट
नर्मदा पाइप लाइन लीकेज होने से जहां लोगों को पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है, वहीं भीषण गर्मी के चलते बोरवेल सूखने लगते हैं। दो दिन में पानी सप्लाय होने के बावजूद कहीं पानी मिलता और कहीं नहीं। ऐसी स्थिति में शहर की कई कॉलोनी-मोहल्लों के रहवासी खाली बर्तन लेकर इधर-उधर भटकते रहते हैं।
मध्यप्रदेश का जल आभाव ग्रस्त जिला
गिरते भू-जल स्तर के चलते मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले को 2021 मे “जल अभाव ग्रस्त” जिला घोषित कर दिया गया था। यह आदेश ग्वालियर जिले के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह की तरफ से जारी किया था।गिरते भू-जल स्तर को ध्यान में रखते हुए और जिले में पेयजल व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए यह निर्णय लिया गया था। ग्वालियर जिले को “जल अभाव ग्रस्त” घोषित करते हुए कलेक्टर ने जिले में सभी नलकूप बोरिंग और खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। अवैध बोरिंग करने वालों पर जुर्माने सहित 2 साल की सजा का प्रावधान भी किया गया था।