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संसद में हुए हंगामे के बाद सुशील कुमार मोदी ने दी सोशल मीडिया के जरिए विपक्ष को सीख

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एक तरफ जहां केंद्र सरकार ने सोमवार को संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के पहले दिन ही तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के अपने वादे पर मोहर लगा दी, विपक्ष अभी भी इस मुद्दे को छोड़ने के मूड में नज़र नहीं आ रहा है। विपक्ष के रवैये को देखते हुए राज्यसभा सांसद और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म Koo App पर लगातार कई पोस्ट करते हुए हमलावर रुख़ अपनाया है।

सुशील कुमार मोदी ने इस संबंध में Koo App पर पोस्ट किया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार कि उनकी घोषणा के अनुरूप संसद सत्र के पहले दिन दोनों सदनों में तीनों कृषि कानून वापस लेने का विधेयक पेश हुआ और पारित भी हो गया। कांग्रेस बताये कि सदन में संवाद बढ़ाने  की इस अच्छी पहल को भी शोर में क्यों डुबोया गया?” संसद के अंदर हुए हंगामे के बारे में अपनी अगली पोस्ट में उन्होंने लिखा, “संसद के पिछले सत्र के आखिरी दिन सारी हदें पार करते हुए हंगामा करने वाले 12 सांसदों का निलम्बन बिहार सहित देश भर की विधानसभाओं के सदस्यों के लिए भी एक कड़ा, लेकिन आवश्यक संदेश है कि सदन में मर्यादा का पालन होना ही चाहिए।”

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इतना ही नहीं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने इस Koo पोस्ट को ही आगे बढ़ाते हुए लिखा, “विपक्ष को आलोचना करने और सवाल पूछने का पूरा अधिकार है, लेकिन किसी को भी आसन का अपमान करने, माइक तोड़ने, रिपोर्टर टेबल पर चढ़ने और मार्शलों से मारपीट करने जैसे आचरण की छूट नहीं दी जा सकती। विधायिका सवाल-जवाब, चर्चा और बहस करने का मंच है, मसल पावर दिखाने का अखाड़ा नहीं।”  उन्होंने Koo App पोस्ट के ज़रिये विपक्ष को सीख देते हुए यह भी लिखा, “जिन कानूनों की वापसी की मांग पर विपक्ष एकजुट था, आम सहमति थी और सरकार ने किसानों की भावना का सम्मान करते हुए इसके लिए बिल पेश भी किया, फिर उस पर चर्चा की मांग कर हंगामा करना दुर्भाग्यपूर्ण था। विपक्ष का मकसद सिर्फ हंगामा करना नहीं होना चाहिए।”

दरअसल, केंद्र सरकार द्वारा सोमवार को दोनों सदनों में ‘कृषि कानूनों का निरस्तीकरण विधेयक, 2021’ पारित कर दिया गया। हालांकि विपक्ष इस मामले को छोड़ने के मूड में नहीं दिख रहा है। इसे लेकर दोनों सदनों के अंदर और बाहर कांग्रेस समेत लगभग समूचे विपक्ष की रणनीति देखने से तो यही लगता है कि वह आगे भी एमएसपी को कानूनी गारंटी देने सहित आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को मुआवजा देने जैसी मांगें उठाने के साथ विरोध के सुर तेज़ करने में जुटा रहेगा।

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