नई दिल्ली: नागालैंड में मौजूदा परिदृश्य के मद्देनजर केंद्र सरकार ने सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम, 1958 या AFSPA को छह और महीनों के लिए बढ़ा दिया है। राज्य में मौजूदा स्थिति को देखते हुए इसे एक अहम कदम बताया गया है। ताकि प्रदेश में कानून व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके। गृह मंत्रालय द्वारा जारी एक गजट अधिसूचना के माध्यम से इस संबंध में घोषणा की गई है।
छह महीनों तक लागू रहेगा AFSP
अधिसूचना जारी कर कहा गया है कि, ‘पूरे प्रदेश में अशांत और गंभीर स्थिति को देखते हुए सशस्त्र बलों का इस्तेमाल जरूरी है। ताकि कानून व्यवस्था का सुचारू रूप से संचालन किया जा सके। इसके लिए सशस्त्र बल अधिनियम, 1958 की धारा तीन के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार नागालैंड राज्य को ‘अशांत क्षेत्र’ घोषित करती है। केंद्र द्वारा की गई यह घोषणा 30 दिसंबर, 2021 से अगले छह महीने की अवधि के लिए लागू रहेगी।
ब्रिटिश शासन में हुआ पहली बार इस्तेमाल
आपको बतादें, सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA), 1958 अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा सरीखे राज्यों में सशस्त्र बलों को कुछ खास अधिकार देती हैं। जम्मू और कश्मीर में तैनात सैन्य बल भी AFSPA का इस्तेमाल करते हैं। AFSPA का इस्तेमाल सबसे पहले 1942 में ब्रिटिश शासन के दौरान भारत छोड़ो आंदोलन को दबाने के लिए किया गया था।
सैन्य बलों को विशेष अधिकार
गौरतलब है कि AFSPA अशांत समझे जाने वाले इलाकों में सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार देता है। इन इलाकों में एक सैन्य अधिकारी जरूरत पड़ने पर गोली चलाने के आदेश तक दे सकता है। साथ ही इस अधिनियम के तहत किसी भी आपरेशन या गिरफ्तारी के लिए वारंट की आवश्यकता नहीं होती है। इस अधिनियम को काम में ला रहे व्यक्ति पर किसी भी तरह की कानूनी प्रक्रिया का प्रावधान नहीं है।
नागालैंड में क्यों अशांत माहौल?
नागालैंड के मोन जिले में सिलसिले वार हुई तीन गोलीबारी की घटनाओं में 14 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 11 अन्य लोग घायल हुए थे। पुलिस के मुताबिक गोलीबारी की पहली घटना संदेहात्मक स्थिति पैदा होने के बाद हुई थी।