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इस्तीफा न देते तो बच जाती उद्धव ठाकरे की कुर्सी, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया अपना फैसला

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एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 15 विधायकों की योग्यता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है। कोर्ट ने कहा कि अभी इस मामले में कोई निर्णय लेना जल्दबाजी होगी इसलिए इसे 7 जजों की बड़ी बेंच को सौंपा जा रहा है।महाराष्ट्र में पिछले साल हुई राजनीतिक उठापटक और सत्ता परिवर्तन से जुड़े मसले पर दोनों प्रतिद्वंद्वी गुटों उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से दायर विभिन्न याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अभी इस मामले में कोई निर्णय लेना जल्दबाजी होगी, इसलिए इसे 7 जजों की बड़ी बेंच को सौंपा जा रहा है। बता दें कि पिछले साल एकनाथ शिंदे और उनके गुट के कुछ विधायकों ने बगावत कर ली थी और उसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन सरकार गिर गई थी।

शिंदे सरकार को राहत 

SC ने अपने फैसले में कहा कि तत्कालीन सीएम उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया था इसलिए एमवीए सरकार को बहाल नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि सबसे बड़े दल भाजपा के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाना राज्यपाल द्वारा उचित था।

तो बच जाती उद्धव सरकार

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि वो उद्धव ठाकरे सरकार को वापिस बहाल नहीं किया जा सकता है। इसी के साथ कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव इस्तीफा नहीं देते तो स्थिति कुछ और होती।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित

संविधान पीठ ने बीते 16 मार्च को संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस मामले में अंतिम सुनवाई 21 फरवरी को शुरू हुई थी और नौ दिनों तक दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गई थीं।

शीर्ष अदालत ने सुनवाई के अंतिम दिन आश्चर्य व्यक्त किया था कि वह उद्धव ठाकरे की सरकार को कैसे बहाल कर सकती है जबकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था।

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