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कश्मीर से पलायन कर जम्मू पहुंचे श्रमिकों ने कहा- सुरक्षित नहीं है घाटी में रहना

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जम्मू : कश्मीर में गैर कश्मीरियों को चुन चुन कर निशाना बनाए जाने की बढ़ती घटनाओं के बीच वहां रह रहे प्रवासी श्रमिकाें का पलायन तेज हो गया है। रविवार शाम को वनपोह में बिहार के दो श्रमिकों की हत्या के बाद घाटी छोड़ने वाले प्रवासी मजदूरों की संख्या तेजी से बढ़ी है और सोमवार को जब कश्मीर से गाड़ियों का जम्मू पहुंचने का सिलसिला शुरू हुआ तो उनमें प्रवासी श्रमिक ही सबसे ज्यादा था।

श्रीनगर से जम्मू छत्तीसगढ़ निवासी अजीत साहू ने बताया कि वह वहां ईट भट्ठे पर काम करता था। उसके साथ उसकी पत्नी व दो छोटे बच्चे भी वहां पर ही रह रहे थे। जैसे ही हमें रात को दो बिहारी युवकों के मारे जाने की सूचना मिली तो हम ने उसी समय कश्मीर छोड़ने की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि भट्ठा मालिक ने उन्हें वहां सुरक्षित रखने का आश्वासन दिया लेकिन परिवार की सुरक्षा को देखते हुए उसने घाटी को छोड़ना ही बेहतर समझा।

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साहू ने बताया कि उसके साथ काम कर रहे चार अन्य परिवार भी जम्मू पहुंच गए हैं और अब या तो यहां कहीं काम तलाशेंगे या फिर अपने गांव लौट जाएंगे। वहीं छत्तीसगढ़ से ही एक अन्य श्रमिक लक्ष्मण भोई ने बताया कि वह पिछले पांच वर्षों से कश्मीर में काम कर रहा था। हालात पहले भी वहां खराब होते थे लेकिन उन्हें वहां कभी डर नहीं लगा लेकिन अब वहां रहना उनके लिए सुरक्षित नहीं है

लक्ष्मण ने बताया कि वे सात लोग एक साथ कश्मीर से वापस आए हैं। घर से भी उन्हें फोन आ रहे थे और परिवारवाले भी उन्हें वापस लौटने के लिए कह रहे थे। हम जम्मू पहुंच गए हैं और अब सरकार से मांग करते हैं कि उन्हें उनके घर तक पहुंचाए। उनके पास आगे सफर करने के पैसे भी नहीं है। फिलहाल जम्मू बस स्टैंड में कुछ श्रमिक अपने परिवार के साथ बैठे हैं जो अब आगे जाने की तैयारी कर रहे हैं।

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