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मप्र में बिना लाइसेंस चल रहे 1.10 लाख मेडिकल स्टोर

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भोपाल । मप्र में फर्जी तरीके से दवा बेचने का कारोबार बिना रोक टोक के चल रहा है। इसका खुलासा स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन के सर्वे में हुआ है। एसोसिएशन के आंतरिक सर्वे में सामने आया कि प्रदेश में 40 हजार फार्मासिस्ट ने मेडिकल स्टोर का लायसेंस ले रखा है, लेकिन प्रदेश भर में डेढ़ लाख से अधिक दुकानें संचालित हो रही हैं। यानी 1.10 लाख मेडिकल स्टोर बिना लाइसेंस के चल रहे हैं।
स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि स्टेट फर्मिसी काउंसिल में 70200 फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हैं। जानकारी के मुताबिक इनमें से करीब 30 हजार फार्मासिस्ट स्वास्थ्य विभाग, चिकित्सा शिक्षा विभाग सहित निजी कंपनियों में नौकरी कर रहे है।  ऐसे में बचे 40 हजार फार्मासिस्ट की रिटेल या होलसेल मेडिकल स्टोर्स संचालक के रूप में काम करना चाहिए, लेकिन प्रदेश में 1।53 लाख मेडिकल स्टोर्स चल रहे हैं। ऐसे में तय है कि एक लायसेंस पर नियम विरुध तीन मेडिकल स्टोर चल रहे हैं। स्टेट फार्मेसी काउंसिल मप्र के अध्यक्ष ओम जैन का कहना है कि फार्मेसी काउंसिल का पूरा काम ऑनलाइन है। कोई फार्मासिस्ट एक लायसेंस का उपयोग एक से ज्यादा जगह करता है तो वह पकड़ा जाएगा। फिर भी जांच करेंगे।
एक लायसेंस पर कई दुकानें चल रही
मप्र में दवा नीति 2009 का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। नीति के अनुसार एक लायसेंस पर सिर्फ एक दुकान का संचालन हो सकेगा। लायसेंस भी उस व्यक्ति के नाम दिया जाएगा जिसके पास डिप्लोमा या डिग्री होगी। लेकिन मप्र में इसके उलट काम हो रहा है। यहां फार्मेसी काउंसिल में 70 हजार फार्मासिस्ट रजिस्टर्ड हैं, इनमें से 40 हजार ने लायसेंस ले रखा है। जबकि पूरे राज्य में डेढ़ लाख से अधिक मेडिकल स्टोर का संचालन हो रहा है। इससे साफ जाहिर है कि एक लायसेंस पर दो और तीन दुकानें चल रही हैं। इस मामले में न तो सरकार की ओर से कोई सख्ती की जा रही है और न खाद्य एवं औषधि विभाग कोई कार्रवाई कर रहा है।
किराए पर मिल रहा है लायसेंस
जानकारों का कहना है कि बाजार में ड्रग लायसेंस मासिक और वार्षिक किराए पर आसानी से उपलब्ध हो जाता है। एक दुकानदार लायसेंस का  किराया 2 से 3 हजार रुपए प्रतिमाह देने को तैयार रहता है। इस तरह सालाना किराया 30 से 40 हजार तक पहुंच जाता है। जबकि यह नियम ड्रग एवं कॉस्मेटिक के निर्माण, बिक्री तथा समवितरण को विनियमित करता है। इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति या फर्म राज्य सरकार की ओर से जारी लाइसेंस के बिना औषधियों का स्टॉक, बिक्री या वितरण नहीं कर सकता। ग्राहक को बेची गई प्रत्येक दवा का कैश मेमो देना अनिवार्य कानून है। स्टोर के लिए ड्रग लाइसेंस अनिवार्य है। स्टेट फार्मासिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष राजन नायर का कहना है कि एसोसिएशन के आंतरिक सर्वे में सामने आया कि प्रदेश में 70 हजार से ज्यादा फार्मासिस्ट रजिस्टटर्ड हैं। वहीं प्रदेश में 15 लाख से ज्यादा दवा दुकाने संचालित हैं। हमने काउंसिल से इस बारे में शिकायत की है।

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