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चीन से क्‍यों चिंतित है सुपरपावर अमेरिका? आखिर क्‍या है ड्रैगन की रणनीति, 5 बिंदुओं में समझें बड़ी बात

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नई दिल्‍ली। अमेरिका और चीन के बीच शीत युद्ध की आंशका तेज हो गई है। चीन लगातार अपनी सैन्‍य क्षमताओं में इजाफा कर रहा है। अभी तक पीएलए थलसैनिक शक्ति पर आधारित फोर्स रही है, लेकिन अब समुद्र, आकाश और साइबर वर्ल्ड से आ सकने वाली चुनौतियों से जूझने के लिए राष्ट्रपति च‍िनफ‍िंग पीएलए के विभिन्न अंगों में बड़ा बदलाव कर रहे हैं। चीन की इस रणनीति को अमेरिकी रक्षा मंत्री लायड आस्टिन ने ड्रैगन की सबसे बड़ी चुनौती बताया है। चीन के हाइपरसोनिक हथ‍ियारों के परीक्षण और पीएलए की संख्‍या में वृद्धि के साथ अमेरिका की चिंता बढ़ गई है। आखिर क्‍या है अमेरिका की बड़ी चुनौती ? सुपरसोनिक मिसाइल के बाद पीएलए को मजबूत करने में क्‍यों जुटा है चीन ?

आखिर ड्रैगन से क्‍यों भयभीत हुआ अमेरिका

1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि अमेरिका भलीभांति चीन के इरादे भांप चुका है। सुपरसोनिक मिसाइल के बाद पीएलए को सुदृढ़ करने के चीनी रणनीत‍ि से अमेरिका की यह चिंता जायज है। चीन के हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण के बाद अमेरिका की चिंता बढ़ गई थी।  यह मिसाइल अपने लक्ष्‍य भेदने में माहिर है। प्रो. पंत का कहना है कि चीन का यह हथियार स्‍पष्‍ट रूप से अमेरिकी मिसाइल डिफेंस से बचने के उद्देश्‍य से तैयार किया गया है। हालांकि, चीन ने अमेरिकी तर्क का खंडन किया है, लेकिन अमेरिका चीन के चाल को जानता है। इसलिए वह सावधान हो गया है।

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2- उन्‍होंने कहा कि चीन अपनी भावी रणनीति के तहत यह काम कर रहा है। वह मिसाइल परीक्षण के साथ अपनी सैन्‍य क्षमता में इजाफा कर रहा है। चीनी सेना में व्‍यापक बदलाव किए गए हैं। पीएलए ने अपने फ्रंटलाइन के आक्रमणकारी सैनिकों की संख्‍या में इजाफा किया है। चीनी सेना में यह बदलाव ड्रैगन की सोची समझी रणनीति का हिस्‍सा है। वह दूनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था के अलावा वह सबसे बड़ी ताकत बन चुका है। धनी होने के मामले में चीन ने तो अमेरिका को पछाड़ दिया है।

3- बता दें कि 1950 के दशक में कोरियन युद्ध के दौरान चीनी सेना में लगभग 60 लाख सैन्‍यकर्मी हुआ करते थे, लेकिन राष्‍ट्रपति शी चिनफ‍िंग के ताजा कटौती के बाद पीएलए के सैनिकों की संख्या लगभग 20 लाख हो गई है। पीएल अब फौज को इस प्रकार से व्यवस्थित कर रहा है कि चीनी सेना में काम करने वाले सैनिकों का सबसे बेहतर यानि आप्टिमम लाभ पीएलए को मिल सके। इसी मकसद से काम्बैट यानि लड़ाकू दस्तों में ज्‍यादा सैनिकों को शामिल किया जा रहा है। अब अधिक से अधिक युवाओं को लड़ाकू दस्तों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ऐसे युवाओं की संख्या करीब तीन लाख तक है, जिनकी बहाली के लिए चीनी रक्षा बजट में प्रावधान किया जा चुका है।

4- वर्ष 2015 में चीन राष्‍ट्रपति चिनफ‍िंग ने सेना के आधुनिकीकरण योजना की शुरुआत की थी। उस वक्‍त पीएलए में काम करने वाले सैनिकों की संख्‍या 23 लाख थी। चिनफ‍िंग का लक्ष्‍य पीएलए को अमेरका के टक्‍कर का आधुनिक फौज बनाने का है। प्रो पंत ने कहा कि आने वाले वक्‍त में चीनी सैन्‍य क्षेत्र में यह बदलाव अभी और देखने को मिलेगा। इस क्रम में सेना की सांगठनिक क्षमता में और विस्‍तार किया जाएगा। इसके अलावा उसकी कमान व्‍यवस्‍था में फेरबदल के संकेत हैं। इसके पीछे चीन की मंशा सेना के आपरेशन्‍स को और ज्‍यादा मजबूत करना है।

5- इसके अलावा चीन में नए जेनरेशन के जंगी विमानों जैसे जे-20, जे-10 और जे-16 को उड़ाने के लिए पायलट्स की संख्या में वृद्धि की गई है। यह सभी विमान आधुनिकतम टेक्नोलाजी पर आधारित हैं। पीएलए के मुखपत्र में कहा गया है कि पीएलए की नौसेना की रक्षात्मक रीढ़ को मजबूत करने के लिए पीएल नेवी का भी विस्तार किया गया है। पीएलए की मरीन कोर में काम करने वालों की संख्या 20 हजार से बढ़ा कर एक लाख करने की योजना है। इस कदम से मरीन कोर में ब्रिगेडों की संख्या दो से बढ़ कर 10 हो जाएगी। इनमें से बहुत से सैनिक हार्न आफ अफ्रीका में स्थित जिबूती और पाकिस्तान में स्थित ग्वादार बंदरगाहों पर तैनात किए जाएंगे जो चीन के अधिकार में हैं। यहां चीन ने अपने मिलिट्री बेस बना रखे हैं। पीएलए को आधुनिक और शक्तिशाली ताकतवर फोर्स बनाने के लिए राष्ट्रपति चिनफ‍िंग ने वर्ष 2027 की समयसीमा तय की है, जो पीएलए की स्थापना की 100वीं जयंती होगी और जैसा हमने पहले बताया, अमेरिका के टक्कर की सेना बनाने के लिए साल 2050 की।

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