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लीवर कैंसर जागरूकता माहः अपने लीवर का बेहतर ढंग से रखें ख्याल

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नई दिल्ली: लीवर यानी यकृत जो हमारे शरीर का सबसे बड़ा आंतरिक अंग है। लीवर शरीर का वह अंग है जो हमारे शरीर में पांच सौ से भी अधिक गतिविधियों में हिस्सा लेता है। लीवर बहुत ही नाजुक अंग है। अगर इसकी ठीक तरह से देखभाल न की जाए तो यह क्षतिग्रस्त हो सकता है। भारत में हर साल 34,000 से अधिक मरीजों में लीवर कैंसर का पता चलता है, जबकि लगभग 33.000 इसके कारण मर जाते हैं। यह 40-70 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों को प्रभावित करने वाली महिलाओं की तुलना में पुरुषों में 4 गुना अधिक आम है। डॉ Soumya Surat Panda, Consultant Medical Oncologist, के अनुसार, कई ऐसे कारण होते हैं जो व्यक्ति के लीवर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। सबसे आम जोखिम कारक हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) या हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) के साथ लंबे समय से संक्रमण होना है। अन्य जोखिम कारक आयु, सिरोसिस, अधिक शराब का पीना, मोटापा, टाइप 2 मधुमेह आदि हो सकते हैं। डॉ Soumya Surat Panda ने आगे कहा कि लीवर कैंसर के जोखिम को रोका जा सकता है। डाॅ — कहते हैं कि हेपेटाइटिस बैंड सी संक्रमण से बचें और उसका इलाज करें। शराब और तंबाकू का उपयोग सीमित करें। वजन पर सामान्य रखें। कैंसर पैदा करने वाले रसायनों के संपर्क को सीमित करें। लीवर कैंसर के खतरे को बढ़ाने वाली बीमारियों का समय पर इलाज करें। डॉ Soumya Surat Panda कहते हैं कि लीवर कैंसर का जल्दी पता लगाना अक्सर मुश्किल होता है क्योंकि लक्षण अक्सर तब तक पता नहीं चलता जबतक बीमारी बढ़ न जाए। उच्च जोखिम वाले लोगों के लिए जांच करने की हिदायत दी जाती है। डॉ Soumya Surat Panda के मुताबिक लीवर की बीमारियों को हेपेटिक डिजीज भी कहते हैं। इसमें लिवर से संबंधित सभी समस्याओं को सम्मिलित किया जाता है। लिवर की प्रमुख बीमारियां। हेपेटाइटिस, फैटी लीवर, पीलिया, लीवर कैंसर, लीवर सिरोसिस, लीवर फेलियर। डॉ Soumya Surat Panda के मुताबिक थकान का अनुभव होना, लगातार वजन घटना, जी मिचलाना, चक्कर आना, रक्त में बिलीरुबिन की मात्रा बढ़ने के कारण त्चचा का रंग पीला पड़ना, पेट के दाईं ओर ऊपरी भाग में दर्द होना अस्वस्थ लीवर को इन लक्षणों से पहचानें।

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