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‘रघुपति राघव राजा राम, कम पैसे में ज्यादा काम’ गाकर जताया विरोध

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बैतूल: निश्चित वेतन की मांग को लेकर आशा-ऊषा व आशा सहयोगियों ने लगातार चौथे दिन भी प्रदेश व्यापी हड़ताल के तहत जिला उद्योग केंद्र के सामने सरकार विरोधी नारे लगाए। सोशल मीडिया के जरिए अपना विरोध जताने उन्होंने कई सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपना विरोध दिखाते हुए फोटो, वीडियो अपलोड किए। इस दौरान उन्होंने भजन गाते हुए भी सरकार की नीतियों का विरोध किया। कार्यकर्ताओं ने इस दौरान मांगे पूरी न होने पर सरकार तक बदलने की शपथ ले डाली।अपनी पांच दिवसीय प्रदेशव्यापी हड़ताल के तहत बैतूल में आशा, ऊषा, आशा सहयोगी संयुक्त मोर्चा , से जुड़ी कार्यकर्ताओं आंदोलन कर रही है। बुधवार उन्होंने काला दिवस मनाकर सरकार का विरोध किया था। वे सरकार के विरोध में सरकार की सद्बुद्धि के लिए यज्ञ भी कर चुकी है। अपने निश्चित मानदेय की मांग कर रही कार्यकर्ताओं ने जिला उद्योग केंद्र के पास प्रदर्शन करते हुए आज भजन गाए। अपनी प्रदेश व्यापी हड़ताल के तहत कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन करते हुए सरकार को जमकर कोसा। उन्होंने कहा की वे अब तक सैकड़ों ज्ञापन सौंप चुके है वे 18 नवंबर तक हड़ताल पर है।कार्यकर्ताओं ने आज मांग की है कि मिशन संचालक के प्रस्ताव को लागू कर आशा को 10,000 और पर्यवेक्षक को 15,000 रुपये निश्चित वेतन दिया जाए।। अपनी प्रदेश व्यापी हड़ताल के पहले दिन कार्यकर्ताओ ने ज्ञापन सौप कर कहा की वे स्वास्थ्य विभाग में प्रमुख मैदानी कार्यकर्ता के रूप में काम कर रही हैं।पूरे देश में मातृ एवं शिशु मृत्यु को रोकने के विभाग के अभियानों को कठिन परिस्थितियों में संचालित करने, ग्रामीण अंचलों में स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने, महामारी से निबटने में आशाओं की भूमिका और आशाओं के काम के महत्व को मान्यता देते हुये विश्व स्वास्थ्य संगठन ने देश एवं प्रदेश की आशाओं को ग्लोबल हेल्थ लीडर की उपाधि देते हुये 6 अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्डों से नवाजा है।यह अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है जो आशाओं की मेहनत के चलते देश को प्राप्त हुई है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि मध्य प्रदेश की अधिकांश आशायें अभी भी मात्र 2000 रुपये के अल्प वेतन में गुजारा करने के लिये विवश है। यह राशि भी केन्द्र सरकार द्वारा देय है ।

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