पटना: भाजपा की ओर से नाटक सम्राट अशोक के लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बावजूद जदयू अवार्ड वापसी की मांग पर अड़ा हुआ है। जदयू साक्ष्य के आधार पर यह बता रहा है कि लेखक ने जानबूझ कर अशोक महान का अपमान किया। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता एवं पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने शनिवार को कहा कि यह राजनीति से अधिक विचार का विषय है कि कैसे विश्व प्रसिद्ध एवं शक्तिशाली भारतीय मौर्य राजवंश के महान चक्रवर्ती सम्राट अशोक को अपमानित किया गया। यह राष्ट्रीय अस्मिता, राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह व भारतीयों के आत्मसम्मान से जुड़ा मामला है।
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नीरज ने सिन्हा की पुस्तक का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पुस्तक की भूमिका में लिखा है-कामाशोक, चंडाशोक और धम्माशोक एक के बाद एक नहीं आए। ये तीनों उसके शरीर में एक साथ, लगातार और जीवनपर्यन्त जीवित रहे। वह कामाशोक केवल नवायु में ही नहीं था। देवी के बाद उसके अन्त:पुर में पांच सौ स्त्रियां थीं। फिर उसकी घोषित पत्नियां थीं। वृद्धावस्था में तिष्यरक्षिता। वह आजीवन काम से मुक्ति नहीं पा सका नीरज ने कहा कि लेखक इतिहास को मिथक और मिथक को इतिहास बनाने की जो साजिश की है, उसके बचाव में आना विचारधारा की लड़ाई का अंग हो सकता है। लेकिन राजनैतिक गठबंधन का नहीं। इसलिए सम्राट अशोक को महान मानने वाले तमाम लोग दया प्रकाश सिन्हा की अवार्ड वापसी की पुरजोर मांग करें। बता दें कि मामले के तूल पकड़ने के बाद बिहार भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने पटना के कोतवाली थाने में गुरुवार को लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। संजय ने खास समुदाय की भावना आहत करने का आरोप लगाते हुए आइपीसी की विभिन्न धाराओं और आइटी एक्ट के तहत केस दर्ज करवाया है। इसके पहले ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा भी दया प्रकाश सिन्हा को दिए गए सभी अवार्ड को वापस करने की गुहार पीएम और राष्ट्रपति से की थी। दया प्रकाश सिन्हा ने अपने एक लेख में अशोक को औरंगजेब की तरह क्रूर शासक बताया गया है। उन्होंने लिखा कि सम्राट अशोक बेहद बदसूरत और कामुक थे। दूसरों को शोक में देखकर खुश होते थे।