रंजीत कुमार पासवान सहरसा सुनामी संवादाता
यदि आप श्रद्धा व आस्था विश्वास और सच्चे मन से ईश्वर का भक्ति करते हैं तो आपका मनोकामना अवश्य पूर्ण होगा और साथ-साथ अपने दिल से एक दूसरे का सहयोग प्रेम व भावना विश्वास को लेकर चलिए जी हां बाबा कारू खिरहरी सहरसा से 22 किलोमीटर दूरी पर स्थित है मैना महपुरा यहां कारू बाबा का आम लोगों पर कृपा सदैव बना रहता है यहां के आसपास के क्षेत्रों में कई प्रसिद्ध मंदिर भी है जो देखने व तीर्थ स्थल भी है मां तारा स्थान जो महिषी में स्थित है सूर्य देव मंदिर जो कंदाहा मैं स्थित है बाबा मटेश्वर धाम जो आप रूपी मटेश्वर स्थान पर विराजमान है बाहर से लोगो कावर उठा कर यहां बाबा मटेश्वर धाम आते हैं नाचुकेश्वर धाम नकुचा ग्राम में बाबा विराजमान है सहरसा मुख्यालय स्थित मां काली का मंदिर दर्शनीय व तीर्थ स्थल जाना जाता है बाहर के लोगों क्षेत्रों के स्थित मंदिरों को दर्शन करने आते हैं यहां मेला भी लगता है जो एक महीना तक लगातार चलता है देवनवन मेला जो नवहटा प्रखंड के अंतर्गत है यहां भी भारी मात्रा में लोगो मंदिर को दर्शन के लिए आते हैं कहरा प्रखंड के अंतर्गत मां विषहरा स्थान विराजमान है भव्य मंदिर है यहां दूरदराज के लोगों पूजा व दर्शन के लिए आते हैं यहां मां भगवती के नाम से प्रसिद्ध मंदिर हैं मनोकामना भी पूर्ण होता है आइए हम सब मिलकर एक दूसरे के प्रति विश्वास व श्रद्धा रखें तो आइए इसी के साथ बिहार के सहरसा जिले के महपुरा गांव में कोसी नदी के किनारे स्थित है बाबा कारू खिरहरि का मंदिर जहां नवरात्र में इतना दूध अभिषेक होता है कि नदी में दूध की धारा बहने लगती है सनातन इतिहास कहता है कि 17 वी शताब्दी में सहरसा जिले के चंद्रवंशी क्षेत्रीय यादव परिवार में कुलदेवी मां दुर्गा की कृपा से एक बालक का जन्म हुआ जिनका नाम बड़ी ही प्रेम से इसके माता-पिता ने कारू रखा बाबा कारू खिरहर के मंदिर पुजारी ब्राह्मणों और मंदिर चारण भातो के अनुसार बाबा कारू खिरहर द्वारकाधीश भगवान श्री कृष्ण के वंशज थे जो मथुरा में मुस्लिम आक्रमण के बाद बिहार आ गए थे बालक कारू खिरहर बचपन से ही बड़े बलवान और युद्ध कला में निपुण थे चारों वेद और पुराणों के उन्हें पूरा ज्ञान था और गो माता और महादेव से अत्यंत प्रेम था दिन रात बाबा गौ माता की सेवा करने में और महादेव की पूजा अर्चना मे बिताते थे बाबा कारू खिरहर ने अपने अपार गो प्रेम के कारण ही कई वर्षों तक नाकेश्चर मैं महादेव की आराधना की तथा अपनी भक्ति से महादेव के साक्षात वरदान प्राप्त किए और जग के कल्याण के लिए गोरक्षा का वरदान मांगा कुछ ही दिन में बाबा के चमत्कार के पूरे किससे पूरे मिथिला क्षेत्र में प्रसिद्ध हो गया बाबा महादेव और कुलदेवी मां गहिल भवानी के भक्ति के कारण कुछ ही दिन में बाबा एक सत्यवान और सिद्ध पुरुष बन गए थे एक बार की बात है गांव में दो खूंखार बाघ आ गया था जो सभी पशुओं को मारकर खा जा रहा था तब बाबा कोसी नदी के किनारे महादेव का ध्यान कर रहे थे और वहां उनकी गो घास चर रही थी अचानक एक बाघ ने गो पर आक्रमण कर दिया बाबा बिना देर किए बाघ पर कूद गए और अपने हाथों से बाघ का जबरा फार कर वध कर दीया बाबा ने कुलदेवी मां गहिल भवानी का स्मरण कर उसके सर पर हाथ फेरा और वह बाघ भी बाबा का पालतू बन गया और इस दिन के बाद से वह बाघ बाबा के साथ गायों की रक्षा करने लगा और दूध ग्रहण करने लगा एक बार की बात है महपुरा गांव में एक कपटी तांत्रिक आया था जो अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर गांव के लोगों को अंधविश्वासी बना रहा था जो बाबा को इस बात का ज्ञात हुआ तब वह तुरंत अपने बाघ और गायों के साथ वहां पहुंच गए और गांव वालों को समझाया कि शिव और शक्ति भी हमारे आराध्या हैं महादेव और मां दुर्गा के सिवा हमें किसी भी पुरुष की अराधना नहीं करनी चाहिए बाबा कारू ने महादेव का स्मरण कर दुस्त तांत्रिक के काला जादू को काट दिया जिस बात से तांत्रिक बहुत नाराज हुआ और बदला लेने के लिए अगले दिन उसने पूरे गांव पर काला जादू कर दिया जिससे गायों में महामारी फैल गई और सारी गाय का मृत्यु हो गई सारे ग्रामीण बाबा कारू खिरहर के पास गए बाबा कारू खिरहर ने मां गहिल भवानी की आराधना शुरू कर दी और अंत में अपना सिर काटकर मां गहिल के मूर्ति पर चढ़ा दिया मां भवानी तुरंत प्रकट हुई साधण पर और बाबा कारू को वापस जिंदा कर दिया और पुत्र मैं तुमसे अत्यंत प्रसन्न हूँ जो मांगे क्या वर चाहते हो तो बाबा कारू ने सारे गायकों जिंदा करने बोला मां ने गांव के सभी मृत गौ माता को जिंदा कर दिया साथ ही बाबा कारू अपार गोधन दिया वैसे तो बाबा कारू के वीरता और चमत्कार के हजारों कहानियां जिसका वर्णन हम जितना करें उतना ही कम है आज भी इस मंदिर में इतना दूध अभिषेक होता है कि दूध की नदियां बह जाता है खासकर नवरात्रि के सप्तमी के दिन तो पूरा कोसी नदी में दूध की धारा बहती है दूर-दूर से पशुपालक यहां पूजा करने आता इसी मान्यता है बाबा का भभूत लगाने से बीमार मनुष्य और पशु ठीक हो जाता है यहां पर चढावे में श्रद्धालु दूध भांग गाजा तलवार खराऊ इत्यादि चढ़ाते हैं यहां का मुख्य प्रसाद खीर है जो श्रद्धालु द्वारा चढ़ाए गए दूध से ही बनता है||