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चुनाव चिह्न के साथ बार कोड देने का सुप्रीम कोर्ट का प्रस्ताव, ECI का इनकार, फैसला सुरक्षित

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सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा. सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न याचिकाकर्ताओं और चुनाव आयोग का पक्ष सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा. जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने सुनवाई पूरी की. विदेशों में चुनावी व्यवस्था की बड़ाई करने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को रोकते हुए कहा कि आप क्या समझते हैं विदेशों में व्यवस्था ज्यादा अच्छी है. ऐसा मत सोचिए कि विदेशों में व्यवस्था भारत से ज्यादा एडवांस है.

इवीएम-वीवीपैट के मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुझाव दिया कि अगर हर प्रत्याशी को चुनाव चिह्न के साथ बार कोड दिया जाए तो जब पर्चियां गिननी होती है तो मशीन बारकोड से ही गिनती कर लेती. इस पर चुनाव आयोग ने कहा कि यह संभव नहीं है. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ में मामले की सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस पर विवाद नहीं कर रहे हैं कि यह मौलिक अधिकार है, लेकिन अति संदेह कि यहां जरूरत नहीं है.

जस्टिस खन्ना ने नाराजगी जताते हुए कहा कि भूषण जी, चाहे वीवीपीएट मशीन पर पारदर्शी, ट्रांसपैरेंट ग्लास हो या बल्ब हो, आप इसे बहुत दूर ले जा रहे हैं. बल्ब आपको यह देखने में मदद करता है, बस इतना ही है. गणना नियंत्रण इकाई द्वारा की जाती है. हर बार जब वोट डाला जाता है, तो पर्ची गिर जाती है और मतदान अधिकारी द्वारा कुल का सत्यापन किया जाता है.

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अब हर चीज पर संदेह नहीं किया जा सकता है. आप हर चीज के प्रति आलोचनात्मक नहीं हो सकते. यदि कोई स्पष्टीकरण दिया गया है तो आपको उसकी सराहना करनी चाहिए. भूषण जी, किसी भी स्पष्टीकरण की आवश्यकता नहीं है, यदि कुछ सुधार लाया जाता है तो वे आपको तब तक क्यों समझाएंगे, जब तक कि यह वैध न हो जाए. बल्ब लगाना है या नहीं या चमक आदि का निर्णय उन्हें करना है.

वकील प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

सुप्रीम कोर्ट ने एडीआर के वकील प्रशांत भूषण को कड़ी फटकार लगाई और कहा हमें भी आपकी आशंकाओं पर चिंता है. यही वजह है कि हम सुनवाई कर रहे हैं, लेकिन आप बेसिर-पैर के आरोप नहीं लगाएं, जो आधारहीन हों.

मनिंदर सिंह ने कहा कि धारा 61A भी देखें. पहले दायर एक याचिका जिसमें 100% EVM-VVPAT मिलान की मांग की गई थी, वह खारिज कर दी गई. उनके पास गलत जानकारी थी. इसलिए EVM मुद्दे पर अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाया जाना चाहिए. जर्मनी के संदर्भ में कई मतभेद हैं. वे हमारे लिए स्पेशल हैं और पूरी तरह से टिकाऊ हैं.

मनिंदर सिंह ने कहा कि स्वतंत्र रूप से काम कर रहे एक्सपर्ट के साथ टेक्निकल एक्सपर्ट की कमेटी बनाई जाती है. वोटिंग खत्म होने के बाद मैचिंग की जाती है. अगर कोई मैच होता है तो वोटर टर्नआउट ऐप के अनुमान पर आधारित होता है.

ईवीएम को हैक करना या छेड़छाड़ करना संभव नहीं

जस्टिस खन्ना ने पूछा कि इससे पता चलता है कि संसदीय समिति को भी जानकारी नहीं है. मनिंदर सिंह ने कहा कि आप मैकेनिज्म पर विचार कर रहे हैं, वोटर टर्नआउट ऐप आपके सामने नहीं रखा गया. इसका EVM से कोई लेना-देना नहीं है. जस्टिस दत्ता ने कहा कि अगर ये आपके लिए परेशानी खड़ी करता है, तो इसे इस्तेमाल क्यों करते रहें?

मनिंदर सिंह ने कहा कि चुनाव आयोग 1-2 साल पहले चुनाव की तैयारी शुरू कर देता है. जस्टिस खन्ना ने पूछा कि अगर एक वोटर को बैलट पेपर चाहिए और दूसरे को नहीं, तो आप इसे कैसे मैच करेंगे. तब तो इसका गलत इस्तेमाल होगा. मनिंदर सिंह ने कहा कि इसकी जरूरत क्या है, EVM का प्रभाव भी देखिए.

निर्वाचन आयोग के वकील ने अदालत में फिर दोहराया कि ईवीएम स्टैंडअलोन मशीनें हैं. हैक या छेड़छाड़ नहीं की जा सकती. वीवीपीएट को दोबारा डिजाइन करने की जरूरत नहीं है. मैन्युअल गणना में मानवीय त्रुटि से इंकार नहीं किया जा सकता है. मौजूदा व्यवस्था में मानवीय भागीदारी न्यूनतम हो गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा क्या यह संभव हो सकता है कि बारकोड की व्यवस्था की जाए. चुनाव आयोग ने कहा कि यह संभव नहीं है.

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