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चांद पर दुनिया बसने की बात अब दूर नहीं! वहां की मिट्टी में उगे कई पौधेi

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चांद को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक कई साल से तमाम रिसर्च कर रहे हैं. यहां इंसानी जिंदगी संभव है या नहीं, इसे लेकर भी खोज जारी है. इन सबके बीच एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रमा की मिट्टी में पौधे उगाए जा सकते हैं. पहली बार यहां पौधे उगाए भी गए हैं.

Lunar Mry: चांद को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक कई साल से तमाम रिसर्च कर रहे हैं. यहां इंसानी जिंदगी संभव है या नहीं, इसे लेकर भी खोज जारी है. इन सबके बीच एक हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, चंद्रमा की मिट्टी में पौधे उगाए जा सकते हैं. पहली बार यहां पौधे उगाए भी गए हैं. फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि थेल क्रेस, अरेबिडोप्सिस थालियाना के पौधे चंद्रमा से जमा की गई मिट्टी में सफलतापूर्वक अंकुरित और विकसित हो सकते हैं. इस रिसर्च के बाद इस बात को बल मिला है कि वहां उन पौधों को उगाया जा सकता है जो चंद्रमा पर भोजन और ऑक्सीजन की आपूर्ति कर सकते हैं.

चांद पर दुनिया बसाने की दिशा में बड़ा कदम

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अध्ययन के सह-लेखकों में से एक रॉब फेरल ने कहा कि, ‘यह सामने आना कि चंद्रमा की मिट्टी में पौधे उगे हैं. वास्तव में चांद उपनिवेशों में खुद को स्थापित करने में सक्षम होने की दिशा में एक बड़ा कदम है.’ उन्होंने बताया कि बेशक अरेबिडोप्सिस स्वादिष्ट नहीं है, लेकिन यह खाने योग्य है. यह पौधा सरसों, फूलगोभी और ब्रोकली के समान परिवार का है. इस अध्ययन में शामिल एक और रिसर्चर अन्ना-लिसा पॉल ने बताया कि, ‘जो पौधे ऑक्सीडेटिव तनाव प्रतिक्रियाओं में सबसे ज्यादा और तेजी से प्रतिक्रिया दे रहे थे, वे विशेष रूप से अपोलो 11 के सैंपल से हैं और ये बैंगनी हो गए

12 ग्राम मिट्टी में किया गया था रिसर्च

यह खोज तब आई है जब नासा ने इस दशक के अंत में आर्टेमिस कार्यक्रम के हिस्से के रूप में मनुष्यों को चंद्रमा पर भेजने की योजना बनाई है. रिसर्चर्स ने चांद पर विकास का विश्लेषण करते हुए 12 ग्राम चंद्र मिट्टी में पानी, प्रकाश और पोषक तत्व जोड़े थे. इस टीम ने सैंपल के साथ काम करने के अवसर के लिए 11 वर्षों में तीन बार नासा में आवेदन किया और केवल 18 महीने पहले ही इन्हें मंजूरी मिली. सबसे अच्छी बात ये रही कि सभी पौधे अंकुरित हुए.  हालांकि कुछ विभिन्न रंग, आकार के थे और दूसरों की तुलना में धीमी गति से बढ़े. टीम ने इनकी तुलना करने के लिए, कुछ पौधों को पृथ्वी की मिट्टी में भी लगाया था. आपको बता दें कि यह पूरी स्टडी रिपोर्ट कम्युनिकेशंस बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है.

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