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भारत की इस जगह को माना जाता है पाताल लोक

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आपने स्वर्ग लोक, नर्क लोक और पाताल लोक की कहानियां खूब सुनी होंगी, लेकिन हकीकत में अगर आप इसे देखना चाहते हैं तो आपको मध्यप्रदेश में जाना होगा. मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा से करीब 78 किलोमीटर दूर पातालकोट नामक स्थान है, जिसे लोग पाताल लोक कहते हैं. ये स्थान धरातल से 3000 किलोमीटर नीचे बसा है. पातालकोट में 12 गांव हैं, जो सतपुड़ा की पहाड़ियों में बसे हैं. यहां गोंड और भारिया जनजाति के लोग रहते हैं. इन गांवों में से 3 गांव तो ऐसे हैं, जहां सूरज की रोशनी कभी नहीं पहुंचती. इस कारण वहां हमेशा शाम जैसा नजारा रहता है.

पातालकोट का ये इलाका औषधियों का खजाना माना जाता है. यहां का हर गांव तीन से चार किलोमीटर की दूरी पर बसा है. इस इलाके में जाते ही आपको हर जगह घने पत्ते, कई तरह औषधीय जड़ी-बूटियां और वन्य पौधे और जीव जन्तु देखने को मिलेंगे. यहां रहने वाले लोग बाहरी दुनिया से एकदम कटे हुए हैं. पातालकोट रहने वाले लोग अपने लिए खाने-पीने की चीजें आसपास ही उगा लेते हैं. इन लोगों के लिए पानी का एकमात्र साधन दूधी नदी है. सिर्फ नमक की खरीददारी ये बाहर से करते हैं. दोपहर के बाद ये पूरा क्षेत्र अंधेरे से इतना घिर जाता है कि सूरज की तेज रोशनी भी इस घाटी की गहराई तक नहीं पहुंच पाती.

यहां रहने वाले गोंड और भारिया जनजाति के लोगों का मानना है कि इसी जगह माता सीता धरती में समा गई थीं, जिससे यहां एक गहरी गुफा बन गई थी. इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि जब प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को अहिरावण पाताल ले गया था, तब हनुमान जी उनके प्राण बचाने के लिए इसी रास्ते से पाताल गए थे. कुछ लोगों का मानना है कि पातालकोट, पाताल लोक जाने का प्रवेशद्वार है.

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कुछ समय पहले पातालकोट के कुछ गांवों को सड़क से जोड़ने का काम पूरा हुआ है. अगर आप भी यहां घूमने के इच्छुक हैं तो जबलपुर या भोपाल एयरपोर्ट पर उतरकर पातालकोट पहुंच सकते हैं. ट्रेन के जरिए जाने वालों को यहां पहुंचने के लिए छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन पर उतरना होगा. फिर यहां से टैक्सी किराए पर लेकर पातालकोट पहुंच सकते हैं. पातालकोट जाने के लिए सबसे बेहतर समय मॉनसून का है. घाटी के अंदर तक का सफर तय करना चाहते हैं तो अक्टूबर से फरवरी का समय बेस्ट है. यहां अगर आप ठहरने के लिए अच्छे होटल की तलाश में रहेंगे, तो आपकी ये तलाश पूरी होना मुश्किल है. यहां या तो आप टेंट लगाकर रह सकते हैं, या फिर तामिया या पीडब्ल्यूडी के गेस्ट हाउस में रहने की सुविधा मिल सकती है.

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